अगर आप भाग दौड़ भरी जिंदगी से बोर हो गए हैं| और किसी पहाड़ पर शांति के साथ कुछ दिन बिताने की सोच रहें हैं| तो आज हम आपको एक ऐसी जगह के बारें में बताने जा रहें हैं, जहां पर जाने के लिए आपको लंबी छुट्टी की जरुरत नहीं हैं बल्कि वीकेंड की छुट्टी ही काफ़ी हैं, आप वहां जाकर अपनी छुट्टियों का आनंद ले सकतें हैं और अपने दिलोदिमाग को रिफ़्रेश कर कर सकतें हैं| यह जगह उत्तराखंड राज्य में स्थित हैं| और दिल्ली से महज 280 किलोमीटर की दूरी पर है| इस जगह का नाम हैं लैंसडाउन, जो चारों तरफ से ऊँचें-ऊचें देवदार और चिड के पेड़ों के साथ ही मनमोहक वादियों से घिरा हुआ बेहद ही खूबसूरत हिल स्टेशन है| यहाँ का मौसम सालभर खुशनुमा बना रहता है| आप यहां ट्रैकिंग,कैंपिंग के साथ ही प्रकृति के अद्भुद और अनुपम सौंदर्य का आनंद ले सकतें हैं| तो चलिए जानते हैं कि लैंसडाउन में कौन-कौन सी जगह घूम सकतें हैं|

लैंसडाउन का इतिहास- यह जगह भारत के राज्य उत्तराखंड के पौढ़ी गढ़वाल जिले में स्थित है| इसका प्राचीन नाम कालूडाण्डा था| गढ़वाली भाषा में इसका अर्थ है काले पहाड़| इस जगह को अंग्रजो द्वारा साल 1887 में बसाया गया था| इस जगह का नाम तत्कालीन वायसराय लॉर्ड लैंसडाउन के नाम पर रखा गया था। यह पूरा क्षेत्र भारतीय सेना के अधीन हैं साथ ही गढ़वाल राइफल्स का गढ़ भी माना जाता है| आप यहां गढ़वाल राइफल्स से जुड़ी चीजों को भी देख सकतें हैं|इतना ही नहीं यह जगह स्वतंत्रता आन्दोलन की कई गतिविधियों में भी शामिल था| तो चलिए! चलतें हैं, लैंसडाउन की यात्रा पर

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गढ़वाल रेजिमेंट वॉर मेमोरियल- लैंसडाउन में देखने लायक जगहों में से यह एक फेमस जगह हैं| आप यहां गढ़वाल राइफल्स रेजिमेंट से जुडी चीजों को देख सकतें हैं| इस जगह का निर्माण 1923 में, भारत के पूर्व कमांडर इन चीफ, जॉन लॉरेंस ने करवाया था| इस जगह को दरवान सिंह संग्रहालय के नाम से भी जाना जाता हैं| प्रथम विश्व युद्ध के दौरान ब्रिटिश सेना में 39 वीं गढ़वाल रायफल्स की पहली बटालियन में दरवान सिंह नायक थे| युद्ध में उनकी वीरता और असाधारण प्रदर्शन के लिए दरवान सिंह को विक्टोरिया क्रॉस से सम्मानित किया गया था| इस बहादुर सैनिक की स्मृति लिए भारत सरकार ने 1983 में इस संग्रहालय की स्थापना की| यह दो मंजिला ईमारत हैं आप यहाँ पर सैनिकों की तस्वीरें, वर्दी, पदक, युद्ध ट्राफियां और प्रशंसा के दस्तावेज को देख सकतें हैं| इस संग्रहालय के बाहर एक सुंदर बगीचा हैं जहां बैठ कर इस जगह की और यहां कि प्राकृतिक सुंदरता का आनंद ले सकतें हैं| यह संग्रहालय सोमवार से शनिवार को सुबह 9 बजे से शाम के 6 बजे तक खुला रहता हैं| आपको संग्रहालय में प्रवेश के लिए 50 रूपये का टिकट लेना होगा|


तारकेश्वर महादेव मंदिर- यह मंदिर लैंसडाउन से 37 किलोमीटर की दूरी हैं| यहां आप लैंसडाउन से बस या टैक्सी से पहुँच सकतें हैं| यह प्राचीन मंदिर भगवान शिव को समर्पित है| यहाँ पर भगवान शिव और माँ पार्वती की प्रतिमा स्थापित की गई है| पौराणिक कथाओं के अनुसार ताड़केश्वर मंदिर का इतिहास राक्षस राज ताड़कासुर से जुड़ा हुआ बताया जाता है| इस मंदिर का नाम ताड़कासुर के नाम से ताड़केश्वर रखा गया था| ऐसा माना जाता हैं कि यहां पर दर्शन करने वाले हर श्रद्धालुओं की मनोकामनाएं भगवान शिव पूरी करतें हैं| आप इस मंदिर में दर्शन करने के उपरांत ऊँचे देवदार के वृक्षों के नीचे बैठकर प्रकृति के सौन्द्रर्य रूप को देख सकतें हैं| आपको यहां पर बहुत सुकून और शांति का एहसास होगा| आप इस जगह को कभी भी भूल नहीं पाएँगे|

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टिप इन टॉप पॉइंट- यह जगह लैंसडाउन में सबसे लोकप्रिय पर्यटन स्थलों में से एक है। अगर आप प्रकृति की खूबसूरती को नजदीक से देखना चाहतें है तो आपको इस जगह पर जरूर जाना चाहिए। यहां से बर्फीली चोटियों का खूबसूरत नज़ारा दिखता है। एडवेंचर प्रेमियों के लिए यह जगह काफी फेमस है। आपको यहां सूर्योदय और सूर्यास्त का खूबसूरत नजारा देखने को मिलेगा| आप यहाँ पर ट्रेकिंग भी कर सकतें हैं| आप इस जगह के टॉप से राजसी शिवालिक रेंज, और हिमालय रेंज के साथ ही गढ़वाल की मनोरम पहाड़ियों का दृश्य देख सकतें हैं जो अपने आप में बहुत ही खूबसूरत है|


भुल्ला ताल झील- भुल्ला ताल झील मानव निर्मित झील है| यह झील गढ़वाल रायफल्स के योद्धाओं को समर्पित हैं| आप इस झील में बोटिंग कर सुखद वातावरण का आनंद उठा सकतें हैं| इस झील का नाम गढ़वाली भाषा के एक शब्द भुल्ला पर रखा गया है जिसका अर्थ है छोटे भाई से है| इस झील से आस-पास की जगहों का नजारा बेहद ही खूबसूरत लगता है|


सेंट मेरी चर्च- यह चर्च टिप-इन-टॉप हिल प्वाइंट के पास स्थित है| इस चर्च को अंग्रेजो के द्वारा 1895 में बनवाया गया था| लेकिन आजादी के समय 1947 में इसे संग्रहालय में परिवर्तित कर दिया गया| आपको इस जगह को जरुर देखना चाहिए| क्योंकि इस चर्च को विक्टोरियन वास्तुकला के लिए जाना जाता हैं| इस चर्च को देखने के बाद आप वहां के पास की जगहों पर टहल कर प्रकृति के मनोरम दृश्य का आनंद उठा सकतें हैं| इस चर्च में जाने के लिए आपको 10 रूपये का टिकट लेना पड़ेगा| और यह संग्रहालय सुबह के 8 बजे से शाम के 5 बजे तक खुला रहता है|


कालागढ़ टाईगर रिजर्व- यह जगह लैंसडाउन से लगभग 40 किलोमीटर की दूरी पर हैं| आप यहां बस या टैक्सी से जा सकतें है| कालागढ़ टाईगर रिजर्व जिम कॉर्बेट टाईगर रिजर्व के अंतर्गत आता है| यहां पर 100 से ज्यादा टाईगर हैं| अगर आप प्राकृतिक प्रेमी है तो यह जगह आपके लिए ही है| आपको इस जगह के चारों तरफ ऊचें-ऊँचे पहाड़, देवदार के वृक्ष, नदियाँ देखने को मिलेंगें| आपको इस जंगल सफारी के दौरान दुर्लभ प्रकार के जीवों के साथ ही सांभर, चीतल, जंगली सूअर,लोमड़ी, तेंदुआ, बाइसन, नीला बैल, मृग, नीलगाय और हाथी आदि देखने को मिलेंगे| आप इस जगह पर जीप से घूम सकतें हैं| इस टाइगर रिजर्व में घूमने के लिए आपको जंगल अथॉरटी द्वारा जीप उपलब्ध कराई गई है| इसके लिए आपको अलग से किराया देना होगा|

लैंसडाउन में कहाँ रुके- आप लैंसडाउन आने से पहले यहाँ के होटल में रूम बुक कर सकतें हैं| अगर आप जल्दबाजी में घूमने का प्लान बनाए और होटल नहीं बुक कर पाएं हैं तो आपको टेंशन लेने की जरुँरत नहीं हैं| आप यहाँ पहुँच कर अपने बजट के हिसाब से होटल बुक कर ठहर सकतें हैं|

लैंसडाउन कैसे पहुँचे- लैंसडाउन आप बस, ट्रेन या हवाई जहाज के द्वारा जा सकतें हैं|

हवाई जहाज से- लैंसडाउन के सबसे नजदीक का हवाईअड्डा देहरादून का जॉली ग्रांट हवाई अड्डा है| आप यहाँ पहुँच कर लैंसडाउन जाने के लिए बस या कैब के द्वारा जा सकतें हैं| देहरादून से लैंसडाउन 165 किलोमीटर की दूरी पर है|

ट्रेन से- अगर आप ट्रेन के द्वारा लैंसडाउन पहुंचना चाहतें हैं, तो आपको बता दें कि लैंसडाउन में कोई ट्रेन नहीं चलती हैं| इसलिए आपको लैंसडाउन के सबसे नजदीक स्टेशन कोटद्वार उतरना पड़ेगा| फिर वहां से आपको बस या कैब के द्वारा लैंसडाउन पहुंचना पड़ेगा| जो कि कोटद्वार से लैंसडाउन 50 किलोमीटर की दूरी पर है|

सड़क मार्ग से- अगर आप दिल्ली से अपने निजी साधन से लैंसडाउन जा रहें है, तो आपको राष्ट्रीय राजमार्ग 119 लेना पड़ेगा जो आपको कोटद्वार के रास्ते लैंसडाउन पहुंचाएगा| आपको दिल्ली से कोटद्वार के लिए सीधी बस मिलेगी जो 5 से 6 घंटें में आपको कोटद्वार पंहुचा देगी| फिर आप वहां से कैब या टैक्सी के द्वारा लैंसडाउन जा सकतें हैं|