गुजरात के गोधरा जिले के देवगढ़ बरिया गांव के रहने वाले पेशे से वेटरनरी डॉक्टर राहुल धरिया ने, गाय के गोबर से घड़ी, मोबाइल स्टैंड, मूर्तियां सहित कई अन्य चीजें बना कर 5 सालों से मार्केट में बेच रहें है। 32 वर्षीय राहुल बचपन से ही गौ सेवा से जुड़ें हैं| और वह पिछले पांच सालों से गांव में रहकर गाय के गोबर पर रिसर्च कर रहें हैं| साथ ही देशी गाय के गोबर के वैज्ञानिक फायदों के बारें में जानकर पंचगव्य चिकित्सा के साथ-साथ देसी गाय के गोबर में प्राकृतिक गम मिलाकर बेहतरीन तरीके से खुद ही प्रोडक्ट बनाते हैं| साथ ही गांव की कई महिलाओं को ट्रेनिंग भी दें रहें हैं| राहुल बतातें हैं कि हम जिस इलाके में रहतें हैं, वह एक आदिवासी इलाका है, और यहाँ पर लोगों के कमाई का मुख्य ज़रिया खेती और पशुपालन है| ऐसे में गाय के गोबर से प्रोडक्ट बनाकर बेचने से यहां की महिलाओं को एक नए रोजगार का अवसर मिला है|


बचपन से ही कर रहे हैं गौ सेवा- डॉ राहुल धरिया ने उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले के एक वेटरनरी कॉलेज से डॉक्टरी की पढ़ाई की हैं| उन्होंने पढ़ाई के दौरान ही यह सोच लिया था कि उन्हें पढ़ाई के बाद नौकरी नहीं करनी हैं, मुझे आगे चलकर गौ सेवा करनी हैं| हालांकि गौ सेवा उनके लिए कोई नई बात नहीं थी| उन्होंने बताया कि मेरे घर में पहले गाय पालने का काम होता था| लेकिन बदलते समय के साथ ही, गाय पालने का काम बंद हो गया| राहुल बतातें हैं कि मेरे नाना के घर पर आज भी कई गाएं हैं, और मैं वहां रहकर गौ सेवा का काम बचपन से करते आ रहा हूँ| डॉ राहुल ने बताया कि पढ़ाई पूरी होने के बाद मैने कुछ समय तक सरकारी अस्पताल में काम किया| लेकिन मुझे प्रकृति से जुड़ा कोई काम करना था, विशेष तौर पर गौ सेवा| इसलिए मैंने अपने गाँव में खुद की प्रैक्टिस करना शुरू की और साथ ही साथ गौ पालन का काम भी करने लगा| डॉ राहुल ने बताया कि मैंने अपनी पुश्तैनी ज़मीन पर जैविक खेती और पशुपालन की शुरुआत की| उन्होंने अपने फॉर्म पर गिर नस्ल की गाय को पालना शुरू किया| लेकिन समय बीतने के साथ ही उन्हें लगा, कि गाय के दूध से गौशाला नहीं चल सकती, इसलिए उन्हें किसी और विकल्प की तलाश करनी होगी| इसलिए उन्होंने गाय पालने के साथ ही पंचगव्य चिकित्सा और गाय के गोबर से बनने वाले प्रोडक्ट के बारें में रिसर्च करना शुरू कर दिया|


देशी गाय के गोबर से बना रहें है अलग-2 प्रोडक्ट्स- डॉ राहुल कहतें हैं कि बाजार में आपको कई तरह के गोबर से बने प्रोडक्ट मिलेंगे| लेकिन उनमे कई तरह की मिलावट रहती है| ऐसे मै चाहता हूँ कि मेरे द्वारा बनाए गए प्रोडक्ट्स पूरी तरह से प्राकृतिक हों। इसलिए मैंने गाय के गोबर में पौधों के गम (Adhesive) मिलाकर चीजों को बनाना शुरू किया| डॉ राहुल ने बताया कि अपने प्रोडक्ट्स की फिनिशिंग के लिए एक गोबर प्रेस मशीन भी खरीदी है, इस मशीन के उपयोग से मेरे द्वारा बनाए प्रोडक्ट्स का लुक बहुत अच्छा हो जाता है| अभी वह 12 और 16 इंच के गणेश जी की मूर्ति, मोबाइल स्टैंड, घड़ी, तोरण, सहित कई अन्य चीजें बना रहें हैं| उन्होंने बताया कि बहुत से लोगों को कच्छी डिज़ाइन बहुत पसंद है| इसलिए हम कई प्रोडक्ट्स को बनाकर कच्छ कलाकारों के पास डिज़ाइन करने के लिए भेज देतें हैं| आज कल डॉ राहुल अपने प्रोडक्ट्स पर विशेष ध्यान दे रहें हैं ताकि उनके द्वारा बनाए गए प्रोडक्ट्स बाजार में आसानी से उपलब्ध हो सके|