हम बताने जा रहे दो ऐसे दोस्तों की कहानी जिन्होंने आधुनिक तकनीक विकसित कर, बिना मिट्टी और पेस्टिसाइड्स से हरी और ताजी सब्जियों की खेती करके महज कुछ सालों में लाखों रुपये कमा रहें है | ये अपनी अनूठी तकनीकी से मिट्टी नहीं बल्कि हवा में ही सब्जियों को उगाते है | किसान परिवार से जुड़े रावतभाटा के अभय सिंह और श्रीगंगानगर के अमित कुमार की मुलाकात आईआईटी मुंबई में पढाई के दौरान हुई | ये दोनों दोस्त बीटेक ग्रेजुएट हैं | ये एक साथ रोबोटिक पर रिसर्च करते हुए दोस्त बन गये | पढाई पूरी करने के बाद एक साथ ही एक कम्पनी में नौकरी करने लगे | उसी दौरान इन दोस्तों के मन में इस इडिया ने जन्म लिया | और एक साथ नौकरी छोड़कर कोटा में अपना स्टार्टअप ईकी फूड्स की शुरुआत किया |

नौकरी छोड़कर शुरू किया जैविक खेती - एक साल काम करने के बाद इन्होने नौकरी को छोड़ने और अपने आइडिया पर काम करने का फैसला किया | इसके लिए ये दोनों दोस्त भारत के अलग-अलग राज्यों मे जाकर किसानों से मिलकर जैविक खेती को देखा और समझा | इसके बाद ये एक तकनीक विकसित करके इसका प्रयोग अपने घर के छत पर ग्रोइंग चेम्बर्स बनाकर करने लगे | इस नई तकनीक के मिश्रण से खेती का उन्हें जबरदस्त फायदा हुआ और 1 साल में ही कम लागत से प्रॉडक्शन बढ़ गया | उसके बाद उन्होंने कोटा में एक चौथाई एकड़ जमीन ली जहां पर पॉलीहाउस तैयार किया और बीना केमिकल या पेस्टिसाइड अवशेष मुक्त सब्जियों की पैदावार प्रारंभ कर दिया | इस तकनीक में उन्होंने सौर उर्जा और न्यूट्रिशनल वॉटर का प्रयोग करके पानी व बिजली की खपत को कम कर दिया | आज वे रोज लगभग 5 क्विंटल सब्जियां पैदा कर रहे है | इनके फार्म पर पालक, भिंडी, टमाटर, लौकी जैसी सब्जियां उगाई जा रही है | ये दोनों दोस्त मिलकर कई जगह पर जैसे कोटा, तालेड़ा भीलवाड़ा और पानीपत में कृषि फॉर्म बना लिया है | ये उगाई हुई सब्जी को सब्जी विक्रेताओं और रिटेलर्स को बेचते है | आज इनके साथ लगभग 60से 70 लोग काम कर रहे है | अभय कहते हैं यह टिकाऊ खेती की ओर शुरूआत है | ये कहते है कि आने वाले समय में हम अन्य राज्यों के मार्केट में सब्जियां भेजेंगे, जिनमे कोई केमिकल या पेस्टिसाइड का अंश नहीं होगा |

80 फीसदी पानी की कर रहे बचत – इनकी इस नई तकनीक ने पारंपरिक कृषि की तुलना में 80 प्रतिशत पानी की बचत होती है | इन्होने अपने फॉर्म पर ऑटोमेटिक कंट्रोल सिस्टम सेट किया है, और इसको अपने आफिस से कनेक्ट किया है | इस सिस्टम की मदद से बिना अपने फॉर्म पर गए, एक स्विच के जरिए पौधों में पानी और जरूरी मिनरल्स पहुंचाया जा सकता है |