कहतें है किसी भी इंसान की शारीरिक बनावट और उसके कपड़े से उसके हुनर को नहीं आकंना चाहिए| दुनिया में ऐसे कई इंसान मिल जायेंगे जो आपको, देखने एकदम से आम लगेंगे, लेकिन उनकी प्रतिभा का पता आपको तब, चलेगा जब आप उनके नजदीक जायेंगे| आज दुनिया में ऐसे लाखों उदाहरण भरे पड़ें हैं जिन्होंने विभिन्न शारीरिक क्षमताओं के बावजूद भी कामयाबी की सीढियाँ चढ़ अपने आप को साबित किया है| ऐसे ही उदाहरण पर फिट बैठती हैं राधिका गुप्ता की कहानी जो की वर्तमान में एडलवाइस एमएफ की सीईओ(CEO) हैं| एक समय था जब अपनी टेढ़ी गर्दन और बोलने के भारतीय लहजे के कारण राधिका हमेशा अपनी क्लास में हंसी का पात्र बन जाती थीं| वहीँ आज टेढ़ी गर्दन होने के बावजूद उन्होंने 33 साल की उम्र में बड़ी कंपनी की सीईओ बनकर अपने आप को साबित किया है, और विभिन्न शारीरिक क्षमता वाले लोगों के लिए प्रेरणा स्रोत बन कर सामने आईं हैं|

अक्सर बनना पड़ता था हंसी की पात्र- राधिका गुप्ता ने अपने दिए एक इंटरव्यू में बताया कि जब वह स्कूल में पढ़ती थी, तब अक्सर उनके साथ ऐसा होता था कि जब टीचर उनसे कोई सवाल करते और उसका जवाब देने के लिए जब मै क्लास रूम में खड़ी होकर जवाब देती, तो वहां उपस्थित सभी छात्र मुझ पर हँसने लगते, इसकी वजह मेरी बातों में भारतीय लहजे का होना और मेरी गर्दन की समस्या थी| मै कुछ कर भी तो नही सकती थी, क्योंकि ये भगवान का दिया तोहफ़ा हैं| राधिका बतातीं हैं कि मै पढ़ने में बहुत तेज थी इसलिए कुछ लोग मुझे सम्मान भी देते थे|


नौकरी नहीं मिलने पर मन में आया सुसाइड का ख्याल- भले ही आज राधिका हजारों करोंड़ो की कंपनी चलातीं हैं और उनके नीचे हजारों लोग काम करते हैं| लेकिन एक ऐसा भी समय था जब राधिका को कई प्रयासों के बाद भी नौकरी नहीं मिल रहीं थी| राधिका ने 22 साल की उम्र में अपनी कॉलेज की पढ़ाई पूरी कर ली थी| और वह जॉब की तलाश में थीं| उसी दौरान राधिका ने जॉब के लिए कई इंटरव्यू दिए, लेकिन एक के बाद एक 7 बार नौकरी पानें में असफल रहीं| ऐसे में राधिका अंदर ही अंदर एकदम टूट चुंकि थी, और इस बात से परेशान होकर उन्होंने सुसाइड करने का मन तक बना लिया था| वह घर के कमरें में खिड़की के पास से छलांग लगाने ही वाली थीं, उसी समय संयोग से उनके कुछ दोस्त आ गए और राधिका को उन्होंने बचा लिया| उसके बाद राधिका के दोस्त उन्हें मनोचिकित्सक के पास ले गए| जहां डॉक्टर ने राधिका की हालत देख उनको अस्पताल में भर्ती कर लिया| राधिका ने मीडिया को बताया कि उनका कई महीनों तक मनोचिकित्सा वार्ड में डिप्रेशन का इलाज चला| इसके बाद राधिका को अस्पताल से तब छुट्टी मिली जब उन्होंने मनोचिकित्सक को बताया कि मुझे नौकरी के लिए इंटरव्यू देने जाना हैं| इस बार कंपनी को दिए इंटरव्यू में वह सफल हो गई और उन्हें मैकेंजी कंपनी में उनको नौकरी मिल गई|


भारत लौट, शुरू की अपनी कंपनी- राधिका ने मैकेंजी कंपनी में लगभग 3 साल तक नौकरी की| इसी बीच उनकी शादी भी हो गई| नौकरी करने के दौरान ही उनके मन में कई बार अपना कुछ करने का विचार आता था, लेकिन वह यह सोच कर पीछे हट जातीं थी कि अभी तो नौकरी की शुरुआत हैं| लेकिन जल्द ही वह दिन भी आ गया, जब उन्होंने ये फैसला कर लिया कि अब अपना बिजनेस करना ही है, इसके लिए उन्होंने नौकरी से इस्तीफा दे दिया और भारत लौंट आईं| भारत आने के बाद उन्होंने अपने पति और दोस्तों की मदद से एक संपत्ति प्रबंधन फर्म की शुरुआत की| कुछ ही समय में राधिका की कंपनी धीरे-धीरे अच्छा ग्रोथ करनी लगी|वहीँ कुछ साल बाद उनकी कंपनी को एडलवाइस एमएफ कंपनी ने अधिग्रहण कर लिया| कुछ दिन बाद उनकों पता चला कि एडलवाइस एमएफ कंपनी एक सीईओ की तलाश में हैं| उन्होंने जब यह बात अपने पति को बताई और काफी सोच विचार किया उसके बाद उनके पति ने इस पद के लिए आवेदन करने को कहा| राधिका ने एडलवाइस एमएफ में सीईओ पद के लिए आवेदन किया| कंपनी ने अपनी सभी औपचारिकता को पूरी कर राधिका को कंपनी का सीईओ(CEO) नियुक्त कर दिया| इस तरह से कभी क्लास में हंसी का पात्र बनने वाली राधिका, आज 30 हजार करोड़ की कंपनी चलातीं हैं|