अपने देश में एक कहावत बहुत मशहूर है कि 'मंजिल उन्हीं को मिलती हैं, जिनके सपनों में जान होती है, सिर्फ पंखों से कुछ नहीं होता, हौसलों से उड़ान होती है'। आपने कभी न कभी यह लाइने जरूर पढ़ी होगी। इन पंक्तियाें में लिखी गई लाइनों को आईआरएस ऑफिसर कुलदीप द्विवेदी ने सच साबित कर के दिखाया है। उन्होंने यह साबित कर दिखाया है कि कम से कम साधन होने के बावजूद अपने मंजिल को हासिल किया जा सकता है। कुलदीप ने बिना कहीं कोचिंग लिए केवल अपने दोस्त से किताबें उधार मांग कर यूपीएससी जैसी कठिन परीक्षा की तैयारी की और उसमें सफलता हासिल कर आईआरएस ऑफिसर बन गए। उन्होंने साल 2015 की यूपीएससी परीक्षा में हासिल की 242वीं रैंक।


एक ही कमरे में रहता था 6 लोगों का परिवार- उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले मे शेखपुर गांव के रहने वाले कुलदीप द्विवेदी का जन्म बेहद ही गरीब परिवार में हुआ था। उनके पिता सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी करते थे। उनकी कमाई सिर्फ इतनी थी कि जिससे मुश्किल से उनके परिवार का खर्च चल पाता था। उनका 6 लोगों का परिवार है जो एक ही कमरे में रहता था। कुलदीप के घर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी इसलिए उनके पिता ने कुलदीप का दाखिला सरकारी स्कूल में कराया था। कुलदीप की शुरुआती पढ़ाई गांव के ही हिंदी मीडियम से पूरी हुई। उसके आगे की पढ़ाई करने के लिए कुलदीप इलाहाबाद आ गए। यहां आने के बाद उन्होंने इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की। कुलदीप अपने घर की आर्थिक स्थिति देखकर कक्षा 7 में ही यह तय कर लिया था की बड़े होकर अफसर बनेंगे। इसी वजह से कुलदीप ग्रेजूशन के साथ ही यूपीएससी और अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने लगे।


रूममेट्स से किताबें मांग की यूपीएससी की तैयारी- इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से पढ़ाई पूरी करने के बाद कुलदीप यूपीएससी की तैयारी के लिए दिल्ली आ गए l उनके पास इतने पैसे नही थे कि कही कोचिंग कर सके इसलिए वह सेल्फ स्टडी करते थे। तैयारी के दौरान जब उनके पास किताब खरीदने के लिए पैसे नहीं होते थे तब वह अपने रूपमेट्स से किताबें मांग कर पढ़ाई करते थे। अपने घर की आर्थिक स्थिति देखकर अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी भी करते थे। उसी दौरान साल 2013 में उनका चयन बीएसएफ के एसिस्टेंस कमांडेंट की पोस्ट पर हो गया। उन्होंने यह सोच कर उस नौकरी को ज्वाइन कर लिया कि नौकरी के साथ पढ़ाई भी करेंगे और आईएएस अफसर बनेंगे। लेकिन नौकरी के दौरान यह संभव नहीं हो पाया इसलिए उन्होंने बीएसएफ की नौकरी छोड़ दी और फिर से यूपीएससी की तैयारी में जुट गए।


तीसरे प्रयास में पास की यूपीएससी परीक्षा- कुलदीप अपने पहले प्रयास में यूपीएससी की परीक्षा पास नहीं कर सके। और दूसरे प्रयास में पास कर लिए लेकिन मेंस में अटक गए। लेकिन उन्होंने कभी हिम्मत नही हारी और निरंतर तैयारी जारी रखी और आखिरकार साल 2015 में यूपीएससी परीक्षा पास करने में सफल हुए। उन्होंने इस परीक्षा में 242वीं रैंक हासिल की। जब इस बात की खबर उनके पिता को दी गई की आपका बेटा अफसर बन गया है। इस खबर को सुनकर वह अवाक रह गए। उनकी इस सफलता से उनके परिवार के लोग बहुत खुश हैं।