25 वर्षीय फ़्रांसीसी लड़की एक दिन अचानक से गायब हो जाती है| और जब वह मिलती है, तो उसे देख, देखने वालों के रोगटें खड़े हो जाते हैं| वजह यह थी कि वो अपने ही घर के एक अंधेरे कमरे में 25 सालों तक कैद थी| और उसको इतनी भयानक सज़ा किसी और ने नहीं, बल्क़ि उसकी अपनी मां और भाई ने दी थी| उसका कसूर सिर्फ इतना था कि उसे एक शख़्स से प्यार हो गया था| और वह उस शख़्स से शादी करना चाहती थीं| लेकिन उसके घरवालों को यह मंजूर नहीं था| यह घटना फ़्रांस कि रहने वाली 25 वर्षीय मैडेमोसेले ब्लैंच मोनियर (Mademoiselle Blanche Monnier) के साथ साल 1876 में घटी थी|


पड़ोस के लोग चींख- पुकार सुनकर कर देते थे, अनसुना- ब्लैंच को उसकी मां और भाई ने अपने ही घर के एक कमरे में कैद कर दिया था। और वो दुनिया से ओझल हो गई थी | लेकिन हैरानी की बात यह थी कि उसके आस-पड़ोस में रहने वालों को ब्लैंच की चीखें सुनाई देती थी, जब वह मदद के चिल्लाती थी। मगर उसकी चीखों को पड़ोसी अनसुना कर देते थे। क्योंकी उसके परिवार के लोगों ने आस-पड़ोस में रहने वालों से कह दिया था कि वह पागल हो गई है। दरअसल उस समय मानसिक रूप से बीमार लोगों को कमरे में क़ैद कर के रखना, सामान्य बात थी। ऐसे में किसी ने ब्लैंच की चीखों पर ध्यान नहीं दिया।


कीड़े-मकोड़े और खुद की गंदगी के बीच 25 सालों तक कैद रही- ब्लैंच के परिवार वालों ने, उसे ऐसे कमरे में बंद किया था जहां सूर्य की रौशनी भी नही आती थी। ब्लैंच को खाना-पानी फेंक कर दिया जाता था। उसे कभी भी पहनने के लिए न कपड़ा दिए गए, न ही उसके कमरे की सफाई की गई। ब्लैंच अपना खाना, पेशाब और शौच अपने बिस्तर और कमरे के अंदर ही करती थी। गंदगी की वजह से उसके कमरे में कीड़े मकोड़े और चूहों ने अपना घर बना लिया था। ब्लैंच धीरे-धीरे इतनी कमजोर हो गई थी कि, उन सब बीच ऐसे ही पड़ी रहती थी।


बेनाम लेटर से पुलिस को, ब्लैंच के कैद होने की बात पता चली- साल 1901 में पुलिस को एक बेनाम शख़्स का लेटर मिला। उस लेटर में ब्लैंच के उसके घर में कैद होने की बात लिखी थी। पुलिस ने उस बेनाम लेटर को पढ़ने के बाद, तुरंत एक्शन लिया और मैडम लुईस मोनियर के घर पर छापा मारा। उस दौरान जब पुलिस ब्लैंच के कमरे में गई तो वहां खड़ा होना मुश्किल हो गया। कमरे की हालत देख वहां मौजूद हर किसी के रोंगटे खड़े हो गए। वहां अंधेरे कमरे के एक कोने में नग्न अवस्था में एक महिला पड़ी थी। उसके शरीर पर एक बहुत ही गंदा सा कंबल पड़ा था। और उसका पूरा शरीर गंदगी से सना था। उसके चारों ओर सड़ी हुई रोटी और मांस के टुकड़े, सब्जियां, मलमूत्र आदि पड़े थे। उसका पूरा कमरा कीड़े-मकौड़ों और चूहों का घर बन चुका था | पुलिस का कहना था कि उस कमरे के पास खड़ा होना और सांस लेना मुश्किल था। ऐसे में पुलिस ने ब्लैंच को देखने के बाद उसके कमरे की खिड़की को तुरंत तोड़ा। और ब्लैंच को अस्पताल ले जाने के लिए कपड़ा पहनाया गया। ब्लैंच इतने सालों से रौशनी के संपर्क में नही थी, इस वजह से उसे पूरी तरह से कवर किया गया। इलाज के दौरान अस्पताल के कर्मचारियों ने बताया कि 25 सालों से कैद में रहने की वजह से ब्लैंच बोलना तक भूल गई थी। अस्पताल में उसका इलाज किया गया, और उसी दौरान वह कई दिनों में छोटे-छोटे वाक्य को बोलना सीख पाई थी।


कैद करने वाले बच गए सजा से- आप सोच रहे होंगे कि इतनी दर्दनाक घटना को अंजाम देने वाले सजा से कैसे बच सकतें है। लेकिन वह बच गए, क्योंकि जब ब्लैंच की मां और उसके भाई को गिरफ्तार किया। उस वक्त उसकी मां बहुत उम्रदराज हो गई थी। और गिरफ्तारी के 15 दिन बाद ही उसकी मौत हो गई। और भाई ने कोर्ट में कह दिया कि उसके घर में उसके मां की चलती थी। और वही सब कुछ देखती थी। ऐसे में उसे सिर्फ 15 महीने की सजा हुई। इसके खिलाफ़ भी उसने कोर्ट में अपील की। और कहा कि उसने कभी ब्लैंच के साथ कोई हिंसा नही की, उससे जितना हो सका उसने ब्लैंच की मदद करने की कोशिश की। कोर्ट ने उसकी अपील को स्वीकार करते हुए सजा से बरी कर दिया। आपको बता दें कि जब साल 1901 में ब्लैंच को बचाया गया था। उसके बाद वह सिर्फ 12 साल तक ही जी सकी। और साल 1913 में उसकी मौत हो गई।