कहते हैं कि कोई भी समाज तब तक तरक्की नहीं कर पाता जब तक वहां की महिलाएं सशक्त न हो जाएं। भारतीय समाज भी महिला सशक्तिकरण की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है। अब महिलाएं सिर्फ रसोई में रोटी बनाने तक सीमित नहीं रह गई हैं, बल्कि वे अपने परिवार की रोजी-रोटी का भी इंतजाम कर रही हैं। महिलाओं के इसी हौसलें को देखते हुए,सरकार से लेकर तमाम कंपनियां तक, महिलाओं के उत्थान के लिए प्रयास कर रहीं हैं. ऐसी ही एक कोशिश की है जयपुर की रग्स कंपनी जो कालीन का बनाने का काम करती है। और इस कंपनी में 85 प्रतिशत काम करती हैं। उनके हुनर की गूंज आज देश=दुनिया में सुनाई दे रही है। यही वजह रही कि साल 1978 में 5000 रूपये से शुरू हुई कंपनी आज 750 करोड़ से ज्यादा की हो गई है|


85 प्रतिशत महिलाएं कंपनी में करती है काम- राजस्थान जयपुर की रग्स कंपनी कारपेट (कालीन) बनाने का काम करती है। यह कंपनी हैंडमेड यानी हाथ से बनी हुई कालीन बनाती है l इसमें खास बात यह हैं कि इस कंपनी में कुल 40 हजार वर्कर काम करतें है जिसमे 85 प्रतिशत महिलाएं काम करतीं हैं। इन महिलाओं की हुनर की वजह से आज कंपनी इतने बड़े मुकाम को हासिल कर पाई है। आज उनके हुनर का डंका अपने देश के साथ ही पूरी दुनिया में बज रहा है।


साल 1978 में 2 लूम और 9 कारीगरों के साथ शुरू की कंपनी- राजस्थान राज्य की राजधानी जयपुर के रहने वाले नंद किशोर चौधरी ने साल 1978 में 2 हेंडलम और 9 कारीगरों के साथ रग्स (Rugs) कंपनी की शुरुआत की थी। धीरे-धीरे उनकी कंपनी आगे बढ़ती गई। उनकी कंपनी द्वारा बनाई गई कालीन लोगों को पसंद आने लगी। आपको बता दें कि हैंडमैड कालीन बनाने में काफी समय लगता है। अलग _अलग रंग के धागों से कालीन की बुनाई की जाती है, और उसमें डिजाइन की जाती है। एक कालीन में लगभग 2 लाख गाठें पड़ती हैं। तब जाकर कहीं एक कालीन बन कर तैयार होती है l


आज 70 से ज्यादा देश में होती एक्सपोर्ट- आज रग्स कंपनी के देश में 5 बड़े स्टोर्स हैं। वहीं इस कंपनी द्वारा बनाई गई हैंडमेड कालीन आज दुनिया के 70 से ज्यादा देशों में एक्सपोर्ट की जाती है। इस कंपनी के द्वारा बनाई गई कालीन दुनिया भर में मशहूर है l आपको बता दें कि भारत के कार्पेट की सबसे ज्यादा डिमांड अमेरिका में है।


5 हजार से 750 करोड़ तक सफर- नंद किशोर चौधरी ने साल 1978 में अपने पिता से 5000 रूपये लेकर रग्स कंपनी की शुरुआत की थी। आज उनकी कंपनी सिर्फ राजस्थान ही नही बल्कि देश के 5 अलग = अलग राज्य के 600 से ज्यादा गांव की महिलाएं इस काम से जुड़ी हुई हैं। इस कंपनी से प्रतिवर्ष 2 हजार नए लोग जुड़कर कालीन बनाने का काम सीखते हैं और रोजगार पाते हैं। नंद किशोर का कहना हैं कि महिलाएं बहुत अच्छी क्वालिटी वाला कालीन बनाती हैं। और अपने समय पर काम पूरा करतीं हैं। यहीं वजह है कि हम महिलाओं को ज्यादा मौका देते हैं। हमने महिलाओं के हुनर को न सिर्फ समझा है बल्कि उनको प्रदर्शित करने और पैसा कमाने का एक जरिया दिया है। उन्हीं के बदौलत आज हमारी कंपनी 5 हजार से 750 करोड़ तक पहुंच गई है।जयपुर रग्स की बनी कालीनें देश-विदेश के घरों में खूबसूरती को चार चांद लगा रही हैं।