अगर मन में कुछ करने की चाह और इरादा मजबूत हो तो उम्र कोई मायने नहीं रखती| इस बात को सच साबित करके दिखाया है ओडिसा के बरगढ़ के रहने वाले 64 वर्षीय जय किशोर प्रधान ने| एसबीआई बैंक में ऑफिसर के पद से रिटायर्ड होने के बाद 4 साल बाद बचपन के सपने को पूरा करने के लिए नीट की परीक्षा में बैठे और पास करके एमबीबीएस कोर्स में दाखिला लिया| जय किशोर प्रधान उन लोगों के लिए प्रेरणा बने हैं, जो कहतेँ है कि अब मेरी उम्र हो गई है मुझसे यह नही हो पाएगा|


आसान नहीं था डॉक्टर बनने का सपना पूरा करना- अपने बचपन का सपना पूरा करना जय किशोर के लिए आसान नहीं था| दरअसल नीट परीक्षा में बैठने के लिए अधिकतम उम्र सीमा 25 वर्ष होती है| जयकिशोर ने 2018 में सुप्रीम कोर्ट में इस संबंध में याचिका दायर कर कोर्ट से परीक्षा में बैठने और अपना सपना पूरा करने की अनुमति मांगीl कोर्ट का फैसला आने में दो साल लग गए| उसके बाद साल 2020 में उन्हें नीट परीक्षा में बैठने की अनुमति मिली| उन्होंने इस परीक्षा को पास किया बल्कि अच्छी रैंक भी हासिल की। इसके अलांवा एक प्रतिष्ठित मेडिकल कॉलेज वीर सुरेंद्र साई इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज एंड रिसर्च (वीआईएमएसएआर) में दिव्यांग आरक्षण कोटे से एमबीबीएस में दाखिला लिया| अगर जय किशोर अपनी पढ़ाई पूरी करते हैं तो उन्हे 70 साल की उम्र में MBBS की डिग्री मिलेगी| इसे पहले उन्होंने 12वीं पास करनें के बाद नीट (NEET) परीक्षा दी थी लेकिन वह परीक्षा पास करने में असफल रहे|

परिवार की जिम्मेदारी ने नौकरी छोड़ने से रोका- जय किशोर प्रधान ने मीडिया को दिए इंटरव्यू में बताया कि वह नौकरी शुरू करने के बाद भी नीट की परीक्षा में बैठना चाहते थे| लेकिन परिवार की जिम्मेदारियों ने उन्हें नौकरी छोड़ नीट की तैयारी कर परीक्षा में बैठने से रोक लिया| उन्होंने बताया कि साल 1978 में नीट परीक्षा दी थी लेकिन पास नही कर पाया| उन्होंने आगे बताया कि 10 साल पहले एक हादसे में वह दिव्यांग हो गए थे| उनकी दो जुड़वा बेटियां जय प्रावा और ज्योति प्रावा मध्यप्रदेश के निजी कॉलेज से बीडीएस की पढ़ाई कर रही थीं| लेकिन किसी कारण वश साल 2020 में जय प्रावा का निधन हो गया| अब उनका इकलौता बेटा जॉयजीत है जो 10वीं की पढ़ाई कर रहा है|


बेटियों की किताबें पढ़ कर नीट की परीक्षा की तैयारी करी - जयकिशोर ने बताया कि जब मेरी बेटियां मेडिकल प्रवेश परीक्षा की तैयारी कर रही थीं तो मैंने भी उनकी किताबें पढ़ीं। प्रवेश परीक्षा में सुप्रीम कोर्ट द्वारा उम्र संबंधी सीमा हटने के बाद मैं और ज्यादा गंभीर हुआ और साल 2020 की परीक्षा में शामिल हुआ| बेटी की मौत ने मुझे नीट परीक्षा में बैठने और एमबीबीएस का कोर्स पूरा कर डॉक्टर बनने को प्रेरित किया| उन्होंने कहा, उनकी इच्छा जीवित रहने तक लोगों की सेवा करने की है|


शिक्षक की नौकरी छोड़ ज्वाइन की बैंक की नौकरी- जय किशोर प्रधान 1977 में बीएससी की डिग्री हासिल करने के बाद अपने पास की अट्टाबिरा एमई स्कूल में बतौर शिक्षक नौकरी करने लगे| उसके कुछ साल बाद उन्होंने बैंक प्रवेश परीक्षा दी| और इनको इंडियन बैंक में नौकरी मिल गई| कई साल इंडियन बैंक में नौकरी करने के बाद साल 1983 में एसबीआई में शामिल हुए और सेवानिवृत्त होने तक एसबीआई परिवार का हिस्सा रहे|


मेडिकल के क्षेत्र में दुर्लभ मामला- वीआईएमएसएआर निदेशक ललित मेहर ने बताया कि मेडिकल शिक्षा के क्षेत्र में यह दुर्लभ मामला सामने आया है| कि कोई 64 साल की उम्र नीट की परीक्षा पास कर एमबीबीएस की पढ़ाई करने जा रहा है| इतनी उम्र में मेडिकल छात्र के तौर दाखिला लेकर जयकिशोर ने उदाहरण पेश किया है|