इस संसार में जो भी कोई आया है, उसकी कोई न कोई कहानी जरुर होती है | इंसानी जीवन में एक बार ऐसा मौका जरुर आता है, जब लगता है कि अब सब कुछ ख़त्म हो गया, आगे कोई रास्ता ही नहीं दिखता, एकाएक सब कुछ रुक सा जाता है, लेकिन फिर कोई न कोई उम्मीद जरुर दिखती है, जो आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती है | आज हम आपको ऐसे ही एक महिला पेट्रीसिया नारायण के जीवन संघर्ष के बारे में बताने जा रहे हैं, उनके जीवन में भी ऐसा समय आया था, जब उनको लगा कि अब उनका सब कुछ छीन गया है, अब जिंदगी में कुछ नहीं बचा | फिर भी उन्होंने हिम्मत नहीं हारी, और मन को समझाया कि मेरे सामने कोई भी परिस्थिति आ जाए, मैं हर मुसीबत का डट कर सामना करुँगी और आगे बढूँगी, यूँ ही बिना कुछ किए हार नहीं मानूंगी |


पेट्रीसिया नारायण के बारे – पेट्रीसिया नारायण का जन्म केरल के एक इसाई परिवार में हुआ था | वह 3 बहनों में सबसे बड़ी बहन हैं | पेट्रीसिया को महज 13 साल की उम्र में एक लड़के से प्यार हो गया था | तब उन्होंने अपने परिवार वालों के खिलाफ जाकर कोर्ट मैरिज कर ली | जब इस बात की जानकारी उनके माता-पिता को हुई तब वह बहुत नाराज हुए, क्योंकि जिस लड़के से पेट्रीसिया ने शादी की थी वह हिन्दू था | बाद में फिर पेट्रीसिया ने अपने माता-पिता को मनाने की बहुत कोशिश की लेकिन वह नहीं मानें | उनके पिता ने उसी लड़के से पेट्रीसिया की फिर से शादी करवाकर अपना रिश्ता हमेशा के लिए ख़त्म कर दिया |

अपने फैसले से हार गयीं पेट्रीसिया – पेट्रीसिया का अपने घर वालों के खिलाफ़ शादी करने का फैसला गलत साबित हुआ | शादी के कुछ दिन बाद उनको पता चला कि उन्होंने जिस इंसान के लिए अपना घर परिवार त्याग दिया वह ड्रग एडिक्ट है| कुछ समय बितने के बाद उनके साथ मार-पीट भी करना शुरू कर दी | आये दिन उनका उनके पति के साथ झगड़ा होने लगा | ऐसे में पेट्रीसिया को अपने फैसले पर पछतावा होने लगा| और उन्होंने अपने पति को समझाने की बहुत कोशिश की और उन्हें लगा कि इससे उनके पति में कोई बदलाव आ जाए सोचा हो सकता है बाद में सुधर जाए, उसी दौरान उनके दो बच्चें हो गए जिसमे एक बेटी और एक बेटा हैं | बच्चों के होने बावजूद भी उनके पति के व्यवहार में कोई बदलाव नहीं आया| तो ऐसे में उन्होंने आख़िरकार उन्होंने अपने पति का साथ छोड़ने का फैसला किया | और अपने पति को अपने हाल पर छोड़ कर अपने दोनों बच्चों को लेकर कंही और चलीं गई |

पेट्रीसिया अब एकदम बेसहारा हो गईं थी लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और वह अपने दोनों बच्चों को लेकर किराये के एक घर में रहने लगीं |


रोजी रोटी के लिए लगाया ठेला – पेट्रीसिया अपने और बच्चों का पेट पालने के लिए मरीना बीच पर ठेला लगाने लगीं | लेकिन उनकी दिन भर की कमाई मात्र 50 पैसे ही होती थी | इस बात ने उनकी हिम्मत तोड़ दी...लेकिन उन्होंने अपने आप को फिर से समझाया की ये काम बंद नहीं कर सकती| अभी यही सहारा है, सब ठीक हो जायेगा और हुआ भी, वही कुछ दिन तक ऐसे ही चलता रहा फिर उन्होंने अपने ठेले पर खाने के सामान के साथ स्नैक्स और चाय बेचना शुरू कर दिया | और देखते ही देखते उनकी मेहनत ने रंग लाने लगी , लोग उनके ठेले पर आने लगे और ऐसे में धीरे-धीरे उनकी कमाई बढ़ने लगी | कुछ समय बाद उन्होंने अपनी खुद की कैंटीन भी खोल ली | उन्होंने फिर अपना काम बढ़ाया और स्लम क्लियरेंस बोर्ड के साथ साथ नेशनल मैनेजमेंट ट्रेनिंग स्कूल में कैंटीन शुरू कर दी| अब पेट्रीसिया अच्छे पैसे कमाने लगीं थीं |

इन संघर्षो के बीच देखते-देखते उनके बच्चे बड़े हो गए और उन्होंने अपनी बेटी की शादी एक अच्छे लड़के के साथ कर दी | लेकिन उनकी इस खुशी पर किसी की नज़र लग गई और एक कार एक्सीडेंट में उनके बेटी-दामाद की मौत हो गई, उनके ऊपर एक बार फिर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा | माँ को इस तरह टूटते देख बेटे ने उन्हें समझाया कि माँ, भगवान की मर्जी के आगे किसी की नहीं चलती |


बेटी के नाम से शुरू की संदीपा रेस्टोरेंट – पेट्रीसिया ने अपनी बेटी खोने के बाद उसके नाम से दो लोगों के साथ एक रेस्टोरेंट का बिजनेस शुरू किया | इस बार उनकी किस्मत ने साथ दिया और संदीपा रेस्टोरेंट चल पड़ा | आज उनके इस रेस्टोरेंट में 200 कर्मचारी काम करते है और कई शहरों में उनके 14 आउटलेट्स चल रहें है | कभी अपना सबकुछ गवां कर ठेले से 50 पैसे रोज कमाने वाली पेट्रीसिया आज दिन के दो लाख रूपये कमाती हैं | उनके इस संघर्ष और धैर्य को सलाम |

आज पेट्रीसिया चेन ऑफ रेस्त्रां 'संदीपा' की डायरेक्टर हैं उन्होंने अपने जिंदगी में कई उतार चढ़ाव देखे, लेकिन कभी खुद से हार नहीं मानी | आज पेट्रीसिया की गिनती एक सफल बिजनेस महिलाओं में होती है | उनको साल 2010 में फिक्की इंटरप्रेन्योर ऑफ द ईयर का अवार्ड मिल चुका है |