कहतें हैं शिक्षा ही एक ऐसा हथियार हैं, जो अज्ञानता में ज्ञान का प्रकाश डालता है, और कोई भी इंसान शिक्षा के दम पर ही महान बनता है। आज के मंहगाई भरे दौर में गरीबों का एक मात्र सहारा शिक्षा ही है। जो उनकी गरीबी की बेड़ी को तोड़ सकता हैं, और जीवन में एक अच्छा इंसान बना सकता है। आज हम आपको बताने जा रहे हैं, ऐसे ही एक पंचर बनाने वाले गरीब लड़के वरुण बरनवाल की कहानी| जिसने अपनी गरीबी की जंजीरों को तोड़ कर अपनी मेहनत और संघर्ष के दम पर IAS अफसर बन लोगों के लिए मिसाल पेश की है।

गरीब परिवार में हुआ जन्म- वरुण बरनवाल का जन्म महाराष्ट्र के एक शहर बोइसार में एक बेहद गरीब परिवार में हुआ था। बचपन से ही वरुण को पढ़ने का शौक था लेकिन गरीबी के कारण उनका दाखिला किसी अच्छे स्कूल में नहीं हो पाया लेकिन फिर भी उनके माता-पिता ने जैसे तैसे करके उनका दाखिला एक सरकारी स्कूल में करा दिया।वरुण का कहना है कि उनकी पढ़ाई में परिवार वालों ने काफी सपोर्ट किया। मां कहती थी कि हम सब काम करेंगे, तुम बस पढ़ाई करो और बड़ा आदमी बन कर हमारी गरीबी को दूर करो।


दोस्तों और टीचरों ने भरी फीस- वरुण बरनवाल बताते हैं कि उनके दोस्तों ने उनकी पढ़ाई में बहुत मदद की। कोई किताब खरीद देता, तो कोई कपड़े दिला देता, तो कोई स्कूल फीस भर देता। उन्होंने बताया कि मेरे स्कूल टीचरों ने भी मेरी गरीबी को देखकर, कई बार उन्होंने मेरी स्कूल फीस भरी। वरुण पुराने दिनों को याद कर बताते है, कि मैं जब 10वीं कक्षा में पढ़ रहा था, तभी मेरे पिता का स्वर्गवास हो गया था| जिससे मैं और मेरा परिवार पूरी तरह से टूट गया। उसके बाद मैने पढ़ाई छोड़ने कर कहीं काम करने का फैसला कर चुका था। लेकिन जब 10वीं का रिजल्ट आया, तब मेरे किए फैसले को रिजल्ट ने बदल कर रख दिया। क्योंकि उस परीक्षा में मैने स्कूल टॉप किया था, जिसकी मुझे कोई उम्मीद नहीं थी। इस सफलता से मेरी पढ़ने की इच्छा को और बल मिला, उसके बाद मैने यह तय कर लिया कि मुझे आगे पढ़ना हैं। इसलिए मैं पढ़ाई के साथ ही एक दुकान पर पंचर बनाने का काम करने लगा| स्कूल से आने के बाद मै पंचर की दुकान पर चला जाता और वहां से जो भी पैसा मिलता वह मै अपनी माँ को दे देता| जिससे मेरी माँ को परिवार का खर्च चलाने में मदद मिलती थी|

इंजीनियरिंग की पढ़ाई के बाद शुरू की UPSC की तैयारी- वरुण कहतें हैं कि मै बहुत किस्मत वाला हूँ, जो मुझे अपनी पढ़ाई पर बहुत ज्यादा पैसे नहीं खर्च करने पड़े| मेरे दोस्तों और स्कूल टीचरों ने मेरी बहुत मदद की| 12वीं की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने इंजीनियर बनने के लिए एक इंजीनियरिंग कालेज में दाखिला लिया| वरुण बताते हैं कि जब मेरी आर्थिक स्थिति के बारें में वहां के टीचरों को जानकारी हुई तब वहीँ के एक टीचर ने मेरी इंजीनियरिंग की पूरी फ़ीस का जिम्मा उठाया| वरुण को जल्दी मदद मिलने की एक वजह और थी| वह पढ़ने में बहुत तेज थे, इसलिए लोग उनकी मदद करने में हिचकिचाते नहीं थे| इंजीनियरिंग की पढ़ाई ख़त्म होने के बाद उन्हें एक अच्छी नौकरी मिल रही थी| लेकिन उन्होंने नौकरी नहीं ज्वाइन की और UPSC की तैयारी कर और आईएएस ऑफिसर बन देश की सेवा करने का फैसला किया|


देश की सबसे कठिन परीक्षा मानी जाने वाली UPSC की तैयारी में वरुण पूरे तन-मन के साथ जुट गए| दो साल तक उन्होंने कड़ी मेहनत की और साल 2013 की UPSC परीक्षा में उन्हें सफलता मिली| इस परीक्षा में वरुण ने 32वीं रैंक हांसिल की| वरुण ने गरीबी और असुविधाओं को झेलने के बावजूद अपनी पढ़ाई जारी रखी और सफल होकर दिखाया, यह कोई छोटी बात नहीं हैं| वरुण बरनवाल उन लोगों के लिए उदाहरण हैं, जो कहतें हैं कि मैं गरीबी की वजह से पढ़ाई नहीं कर पाया, नहीं तो मै भी आज बड़ा आदमी होता| वरुण बरनवाल के संघर्ष को लोग सलाम कर रहें हैं|

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