आज हम आपको बताने जा रहें है एक युवा उद्यमी लड़की की कहानी, जिसने गांवों से पलायन रोकने और लोगों को रोजगार देने का बीड़ा उठाया और हजारों लोगो को रोजगार दिया, साथ ही करोड़ो रूपये सालाना कर रहीं है कमाई | आज उन्हें मशरूम गर्ल के नाम से जाना जाता है |

उत्तराखंड राज्य में पलायन एक बड़ी समस्या है | इस राज्य के ग्रामीण इलाकों से हर साल लोग बड़ी संख्या में रोजी-रोटी की तलाश में किसी और शहर चले जाते हैं | उत्तराखंड सरकार ऐसे लोगों के लिए रोजगार की व्यवस्था कर रही हैं लेकिन ये पर्याप्त नहीं है | ऐसे में उत्तराखंड राज्य की रहने वाली दिव्या रावत ने इन लोगों के लिए कुछ करने और रोजगार देकर पलायन रोकने का फैसला किया | जब दिव्या रावत नोएडा स्थित एमिटी यूनिवर्सिटी से सोशल वर्क में मास्टर्स की पढ़ाई कर रही थीं | तब उन्होंने देखा कि उनके राज्य के कुछ परिवार रोजगार की तलाश में दिल्ली आए थे, लेकिन उनको कोई अच्छा रोजगार नहीं मिल रहा था और वह दर-दर की ठोकरे खाने को और दयनीय जीवन जीने को मजबूर थे| इस दौरान दिव्या की पढ़ाई पूरी हो गई और वह एक गैर सरकारी संस्थान में नौकरी करने लगी, जंहा वह मानव अधिकार के लिए काम करती थी |


2013 में आई भीषण बाढ़ – जब साल 2013 में उत्तराखंड में भीषण बाढ़ आई थी, तब वंहा के लोगों को अपनी जान बचाना मुश्किल हो गया था, साथ ही जान-माल का बहुत नुकसान हुआ था | इस भयानक मंजर को देख दिव्या का मन बहुत दुखी हुआ| तब दिव्या ने अपने मन में ठान लिया था, कि अब अपने लोगों के लिए कुछ करना हैं, उसके बाद उन्होंने अपनी वह नौकरी छोड़ दी और वापस उत्तराखंड आ गईं|

शुरू की मशरूम की खेती – दिव्या जब दिल्ली से नौकरी छोड़कर वापस उत्तराखंड आई तब उन्होंने मशरूम की खेती करने का फैसला किया| इसके लिए उन्होंने एक साल तक शोध किया और मशरूम की खेती के हर बारीकियों को जाना, साथ ही कई प्रयोग किए| उसके बाद उत्तराखंड के मौसम के अनुकूल देहरादून में 3 लाख की लागत से एक लैब तैयार करवाई| उसके बाद उन्होंने सौम्य फूड प्राइवेट लिमिटेड नाम से साल 2016 में एक कंपनी की शुरुआत की| जब मीडिया के द्वारा उनसे ये सवाल पूछा गया कि मशरूम ही क्यों ? तब उन्होंने बताया कि सामान्य फसलों की खेती की तुलना में मशरूम की खेती कर कई गुना तक आसानी से लाभ कमाया जा सकता है | दिव्या बतातीं हैं कि, शुरू के कुछ सालों में वह हर वर्ष 4000 किलो तक मशरूम बेचती थी और अच्छी कमाई करतीं थी | वहीँ साल 2019 में उन्होंने 1लाख 20 हजार किलो मशरूम का उत्पादन किया था| आज उनकीं इस कंपनी से 7 हजार से ज्यादा लोग जुड़कर दिव्या से मशरूम की खेती की ट्रेंनिग लें रहे हैं और खेती कर रहें हैं | वंही आज दिव्या की कंपनी मशरूम नूडल, मशरूम जूस, मशरूम बिस्कुट जैसे मशरूम से बने 70 से अधिक उत्पादों का कारोबार कर रही है, साथ ही 5 करोड़ सालाना की कमाई कर रही है |


युवाओं और महिलाओं को दिखाई नई राह – दिव्या बताती हैं कि मेरी मशरूम की खेती के माध्यम से युवाओं और महिलाओं को रोजगार का साधन उपलब्ध कराना मेरी प्रथम प्राथमिकता हैं| वह कहतीं है कि मुझे गांवों से पलायन रोकने में काफी हद तक सफलता मिली है, उन्होंने स्थानीय स्तर पर बहुत से लोगों को रोजगार दिया है| आज उनकी कंपनी में 100 से अधिक साझेदार उनके साथ काम कर रहें हैं| वह कहती है कि हम मशरूम की खेती को बढ़ावा देने के लिए एक इनक्यूबेशन सेंटर के तौर पर काम कर रहे हैं, जिसके तहत किसानों को नई-नई तकनीकों, मार्केटिंग, योजनाओं, आदि के बारे में जानकारी दी जा रही है | आज मशरूम की खेती से लोगों की जिंदगी बदल गई है, उनको रोजगार का स्थाई साधन मिल गया है |

दिव्या बनी मशरूम-राज्य ब्रांड एम्बेसडर – उत्तराखंड सरकार ने साल 2016 में मशरूम की खेती के जरिये युवाओं को रोजगार देने साथ ही महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए और राज्य के सतत विकास के लिए उन्हें मशरूम खेती का ब्रांड एम्बेसडर बनाया था | इतना हीं नहीं इसी साल तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने दिव्या को 'नारी शक्ति' सम्मान से सम्मानित किया था |