आज दुनिया के हर कोने में महिलाएं पुरूषों से कम नहीं है | भारत का पूरा इतिहास महिलाओं की वीर गाथाओं से भरा पड़ा है। भारत एक पुरूष प्रधान देश रहा है और औरतें अक्सर गृहणी बन कर घर का काम काज देखती हैं। लेकिन जरूरत पड़ने पर उन्होंने बाहरी जिम्मेदारियों को बखूबी निभाया है। ट्रक ड्राइविंग एक मात्र ऐसा पेशा है, जहां आपको महिलाएं नाम मात्र की भी नहीं दिखाई देंगी। भारत में यदि आप महिला ट्रक ड्राइवर तलाशने निकलें तो आपको गिनती भर मात्र की मिलेंगी । हम आपको बताने जा रहे है एक महिला ट्रक ड्राईवर की संघर्ष भरी जिन्दगी के बारे में |

मध्य प्रदेश के भोपाल की रहने वाली योगिता रघुवंशी की जिंदगी यूं तो आम भारतीय महिलाओं की तरह ही है| लेकिन जिन्दगी के एक मोड़ नें उन्हें देश की पहली महिला ट्रक ड्राईवर बनने पर मजबूर कर दिया | योगिता अच्छी खासी पढ़ी लिखी है, उन्होंने कामर्स से ग्रेजुएट किया है | योगिता नौकरी करना चाहती थी लेकिन शादी के बाद ये संभव ना हो पाया | योगिता की शादी होने के बाद वो मुंबई आ गई उनके पति पेशे से एक वकील थे | उन्होंने योगिता की क़ाबलियत को पहचान लिया और पढाई आगे जारी रखने के लिए कहा| फिर योगिता ने कानून की पढाई पूरी कर ली | इसी बीच वे मां बनी और दो नन्हें बच्चे याशिका और यशविन को जन्म दिया | सब कुछ ठीक चल रहा था | तभी उनकी जिंदगी में एक अनचाहा हादसा हुआ और उनके पति का देहांत हो गया, जिससे उनको एक गहरा सदमा लगा | अब उनको लगा जैसे जिन्दगी थम सी गई हो | उनके पति के साथ छोड़ने के बाद उनकी आर्थिक स्थिति ख़राब होने लगी | फिर उन्होंने अपनी पढाई का फायदा उठाते हुए वकालत करने का फैसला किया | लेकिन इस काम ने उनका साथ नहीं दिया| योगिता बताती है कि उनको पूरे साल भर में सिर्फ एक ही पिटीशन मिली | जिससे उनके घर का खर्च चल पाना बहुत ही मुश्किल हो गया, बच्चो की फीस और दुसरे खर्च भी थे | इतने कम पैसे में गुजारा कैसे होता? अगर केस नहीं है ,तो पैसा नहीं आएगा | अब उन्हें तत्काल आय का स्त्रोत चाहिए था| जिससे उनकी जरुरत पूरी हो सके उन्होंने कई जगह नौकरी की तलाश किया लेकिन नौकरी कंही नहीं मिली| इनके पति का साइड में ट्रांसपोर्ट का काम था| जब इनकी वकालत में पैठ नहीं बन पाई तब इन्होने ट्रांसपोर्ट में रुचि लेना शुरू किया | परिवार वाले इनका हमेशा साथ देते थे | योगिता ने जब ट्रांसपोर्ट का काम शुरू किया , तब उनके पास 3 ट्रक थे | तब वे ऑफिस में बैठकर काम करती थीं, ड्राइवर माल ढोने का काम करते थे| लेकिन तभी एक और हादसा हुआ| हैदराबाद में माल ले जाते समय ट्रक का एक्सीडेंट हो गया, ड्राइवर मौके से फरार हो गया आनन-फानन में योगिता हैदराबाद पहुंची, ट्रक को रिपेयर करवाया और उसे लेकर भोपाल पहुंची |ये उनका पहला अनुभव था जब योगिता ने समझा कि उन्हें इस बिजनेस में टिकने के लिए खुद स्टेयरिंग पकड़ना होगा | फिर क्या था योगिता ने ट्रक ड्राइविंग का प्रशिक्षण लिया, ड्राइवरों के साथ बैठकर अनुभव लिया कुछ महीने बाद योगिता फुल टाइम ट्रक ड्राइवर बन गईं | योगिता बताती है जब मै ट्रेनिगं ले रही थी, तब सब उनका मजाक उड़ाते थे | उनको पता था मेरे पास क्या जिम्मेदारी है, जब भी मै स्टेरिंग थामती तो बस बच्चों का चेहरा और उनके भविष्य का ख्याल आता था | उनको अब ये भरोसा हो गया था, ये काम मेरे लिए है, और अब यही काम करना है भले ही कितनी कठिनाई का सामना करना पड़े |

शुरू हुआ सफ़र - अब तक योगिता को ड्राइविंग करते हुए 16साल बीत चुके हैं | योगिता ने बताया हमें लंबे सफर तय करने पढ़ते हैं| इतना ही नहीं इस काम में कई बार पुरुष ड्राइवरों के साथ उनकी झड़प भी हुई | कई पुरुष ड्राइवरों ने रास्ते में हमला तक कर दिया पर वे डटी रहीं और हर मुसीबत का डट कर सामना किया| अपने दिए एक इन्टरव्यू में उन्होंने बताया की उनके शुरू के पांच साल मुश्किल भरे रहे, और बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा | योगिता कहती है जब ऐसा कोई काम करना, हो जहा पुरुषों का वर्चस्व हो वो काम बहुत ही कठिन हो जाता है| पर योगिता ने हार नहीं मानी और सभी चुनौतियों का डट कर सामना किया | आज तक योगिता से एक भी एक्सीडेंट नहीं हुआ और वे दिए हुए समय पर सामान की डिलवरी करती है | आज वे भारत की सफल ट्रक ड्राईवर है |