भारत का पहला ट्रांसजेंडर पायलट! प्लेन उड़ाने की जगह ,कर रहा हैं खाना डिलीवर
DGCA ने मेडिकली अनफ़िट बता, नहीं दिया प्लेन उड़ाने का लाइसेंस
आज भले ही भारत में आज ट्रांसजेंडर समुदाय को कुछ क़ानूनी हक़ मिल गए हों| लेकिन आज भी उनको अपने समाज ने स्वीकार नहीं किया है, और उनके साथ भेद-भाव करने में कोई कसर नहीं छोड़ता| एक एसे ही ट्रांसजेंडर की कहानी बताने जा रहें हैं| भारत के पहले ट्रांसजेंडर ट्रेनी पायलट एडम हैरी| जिनका तब नाम सुर्खियों में आया, जब एडम हैरी ने राजीव गांधी अकेदमी फॉर एविएशन टेक्नोलॉजी (Rajiv Gandhi Academy for Aviation Technology) में पायलट की ट्रेनिंग के लिए साल 2020 में दाखिला लिया| भारत के पहले ट्रांस पायलट होने के बावजूद भी सामाजिक कुरितियों के कारण वह अपने सपनों की उड़ान भरने के बजाए डिलीवरी बॉय का काम करने को मजबूर हैं|
नगर विमानन महानिदेशालय (DGCA) ने दिया लाइसेंस- केरल के रहने वाले 23 वर्षीय एडम हैरी का सपना था कि वह भारत में कमर्शियल प्लेन उड़ाए| इसके लिए उन्होंने राजीव गांधी अकेदमी फॉर एविएशन टेक्नोलॉजी से प्लेन उड़ाने की ट्रेनिंग भी ली| साथ ही साल 2021 में में दक्षिण अफ़्रीका से प्लेन उड़ाने का प्राइवेट लाइसेंस भी प्राप्त कर लिया| लेकिन DGCA ने उन्हें मेडिकली अनफ़िट बताकर लाइसेंस देने से मना कर दिया| एडम ने मीडिया को बताया कि वह दुनिया के किसी भी देश के लिए प्लेन उड़ाने के लिए सक्षम हैं लेकिन भारत के लिए नहीं|
अपना खर्च चलाने के लिए करतें है डिलीवरी बॉय का काम- एडम हैरी को भारत में पायलट का लाइसेंस लेने के लिए कई मेडिकल टेस्ट देना पड़ा फिर भी उन्हें अभी तक लाइसेंस नहीं मिल पाया हैं| ऐसे में उनका खर्चा चलना मुश्किल हो गया और वह अपना खर्च चलाने के लिए मज़बूरी में जोमैटो में डिलीवरी बॉय का काम कर रहें हैं|
जेंडर चेंज करवाने की वजह से माता-पिता ने छोड़ा साथ- आपको बता दें! कि एडम पहले लड़की थे लेकिन बाद में वह अपना जेंडर चेंज करवा कर लड़का बन गए| इस वजह से उनके माता-पिता ने उनका साथ छोड़ दिया| जब उनके माता-पिता ने उनका साथ छोड़ा, तब वह दक्षिण अफ्रीका में पढ़ाई कर रहे थे| इसी वजह से उन्हें अपनी पढ़ाई भी छोडनी पड़ी| और वह भारत लौट आए|
जेंडर डिस्फ़ोरिया और हॉर्मोन थेरेपी का DGCA ने दिया हवाला- हैरी ने बताया कि उन्हें उड़ान भरने के लिए मेडिकल टेस्ट देना होता है| लेकिन टेस्ट फॉर्म में सिर्फ दो ही सेक्शन थे मेल और फ़ीमेल| इसलिए उन्हें मजबूरन फ़ीमेल कैटेगरी में टेस्ट देना पड़ा| भले ही वह जेंडर चेंज करवा कर मेल बन गए हैं, लेकिन मेडिकल परीक्षा वह मेल कैटेगरी में नहीं दे सकतें, क्योंकि बायलॉजिकल मेल बॉडी से उनकी बॉडी अलग है| जेंडर डिस्फ़ोरिया के बारें में बात करें, तो इसका मतलब होता है कि जन्म के समय निर्धारित जेंडर से कोई व्यक्ति अलग महसूस करता हो उसे जेंडर डिस्फ़ोरिया कहतें हैं| लेकिन ऐसा ज़रूरी नहीं हैं, कि हर ट्रांस व्यक्ति को जेंडर डिस्फ़ोरिया हुआ ही हो| हैरी ने बताया कि मेरी हॉर्मोन थेरेपी चल रही थी| लेकिन मुझे मेडिकल परीक्षा के लिए उसे बंद करनी पड़ा| फिर भी वह उस परीक्षा में फेल हो गए| इसकी वजह उन्होंने बताया कि फ़ीमेल बॉडी में जितना टेस्टोस्टेरोन लेवल मान्य है, उनकी बॉडी में उससे ज़्यादा था|
हैरी ने स्टीट्यूट ऑफ ऐरोस्पेस मेडिसीन, बेंगलुरू पर लगाए आरोप- द हिन्दू की रिपोर्ट के अनुसार हैरी को Psychometric Test टेस्ट भी करवाना पड़ा, जो DGCA के मेडिकल जाँच में शामिल हैं| इस टेस्ट में उन्हें फेल कर दिया गया| उन्हें हॉर्मोन थेरेपी पूरी कर मेडिकल रिव्यू लेने के लिए कहा गया| 5 महीने बाद उन्हें मेडिकल सर्टिफिकेट मिला| फिर भी उन्हें DGCA ने उड़ान भरने की अनुमति नहीं दी| हैरी ने बेंगलुरू के ऐरोस्पेस मेडिसीन पर गंभीर आरोप लगाए और उन्होंने कहा कि उन्हें कपड़े उतार कर जेंडर प्रूव करने के लिए कहा गया| हैरी ने यह भी बताया कि उनसे कहा गया, कि अगर तुम्हे लाइसेंस दे दिया जाता हैं, तो सैकड़ो लोगों की जान खतरे में आ जाएगी| हैरी ने मीडिया से कहा कि वह DGCA के खिलाफ़ कोर्ट में जाएंगे| अब कोर्ट ही न्याय कर सकता हैं|
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