कांदिवली स्टेशन स्काईवॉक पर हेमंती सेन ने खोला स्कूल
हेमंती हमेशा से कुछ अलग करना चाहती थीं इसलिए उन्होंने एक जुनून नाम से एनजीओ शुरू किया।
आज के समय में लोगों के पास इतना वक्त नहीं होता कि वो कुछ देर रुक कर किसी को देख सके। खास कर मुंबई जैसे शहर में तो बिलकुल भी नहीं लेकिन कांदिवली स्टेशन के स्काईवॉक पर दो मिनट के लिए रूककर हेमंती सेन को देखे बिना आप आगे नहीं बढ़ पाएंगे।
कौन हैं हेमंती और वो कांदिवली स्टेशन स्काईवॉक पर क्या करती हैं?
हेमंती सेन एक टीचर हैं और यहाँ वो करीब 15 गरीब बच्चों को पढ़ाती हैं, साथ ही कई फन एक्टिविटी भी करती हैं। वो बच्चों को बात करने का तरीका सिखाती हैं, मैथ और इंग्लिश पढ़ाती है। इसके अलावा आर्ट एंड क्राफ्ट भी करती हैं।
हेमंती ने ये सब कब शुरू किया ये जानने से पहले मैं आपके उनकी निजी जिंदगी के बारे में बताती हूँ। हेमंती एक मिडिल क्लास परिवार से ताल्लुक रखती हैं। उनकी माँ टीचर हैं और उनके पिता एक कंसलटेंट हैं। उन्होंने अपना ग्रेजुएशन साइकोलॉजी और सोशियोलॉजी में पूरा किया है। हेमंती बताती हैं कि उन्हें टीचर बनने की प्रेरणा अपनी माँ से मिली है।
हेमंती हमेशा से कुछ अलग करना चाहती थीं इसलिए उन्होंने एक जुनून नाम से एनजीओ शुरू किया। इस एनजीओ से उन्हीं की तरह सोशल वर्क करने वाले लोग जुड़ने लगे।
एक दिन हेमंती ने मुंबई की सड़क पर कुछ बच्चों को भीख माँगते देखा। ये देख उन्हें लगा कि जिस उम्र में बच्चों को स्कूल जाना चाहिए वो भीख माँग रहे हैं। उन्होंने उन बच्चों से बात की और उन्हें पढाने की अपील की। लेकिन उन बच्चों के माता-पिता ने कहा कि उनके बच्चे स्कूल जाते हैं। हालांकि हेमंती जानती थी कि वो झूठ बोल रहे हैं।
इसलिए उन्होंने तय किया वो स्कूल जाकर टीचर से बात करेंगी। हेमंती ने कई बच्चों का नामांकन कराने के लिए पास के स्कूल में गईं। लेकिन वहां के अधिकारी नामांकन करने से हिचक रहे थे उनका कहना था कि बच्चे स्कूल में पढ़ने नहीं आएंगे।
ये बच्चे पढ़ने की जगह गली-मोहल्लों में जाकर छिप जाते थे लेकिन हेमंती ने हार नहीं मानी और उन बच्चों को एक साथ जुटाने की कोशिश जारी रखी। अब तक उन्होंने लगभग 15 बच्चों को पढ़ाना शुरू किया है।
हमारी प्रतिक्रिया- हमलोग चाहते हैं कि समाज बदले। हर बच्चे को शिक्षा मिले। नियत सभी की अच्छी होती है लेकिन उसपर अमल हर कोई नहीं कर पाता है। हेमंती जैसे कुछ लोग हैं जो समाज में केवल बदलाव नहीं चाहते बल्कि बदलाव लाने के लिए काम भी करते हैं।