दिव्यांग होने के बावजूद, पहले पास की IIT परीक्षा, फिर बने इसरो (ISRO)के वैज्ञानिक, अब UPSC में हांसिल की 271वीं रैंक
एक समय इंजीनियरिंग सेवा परीक्षा पास करने के बावजूद शारीरिक अक्षमताओं के चलते नहीं मिल सका था! प्लेसमेंट
30 मई 2022 को UPSC का परिणाम घोषित किया गया| जब से यह परिणाम आया है तब से यूपीएससी पास करने वाले उम्मीदवारों की एक से बढ़ कर एक कहानी सुनने को मिल रहीं है| उसी क्रम में हम आज आप को ऐसे ही एक अभ्यर्थी की कहानी बताएँगे जिन्होंने दिव्यांग होने के बावजूद सिविल सेवा परीक्षा 2021 में 271 रैंक हांसिल की बल्कि इससे पहले वह IIT से डिग्री प्राप्त कर चुके है साथ ही इसरो में वैज्ञानिक के तौर पर सेवा दें रहें है|
कौन हैं कार्तिक कंसल- ऐसा कमाल करने वाले हैं कार्तिक कंसल जो उत्तराखंड राज्य के रुड़की जिले के रहने वाले हैं |जो की इस समय श्रीहरिकोटा में युवा वैज्ञानिक के तौर पर अपनी सेवा दें रहें हैं| कार्तिक के परिवार के बारें में बात करें तो उनके पिता एल.पी. गुप्ता हरिद्वार में राजस्व लेखपाल हैं| वहीं, उनकी मां ममता गुप्ता हाउस वाइफ हैं। और उनके एक भाई वरुण कंसल हैं जिन्होंने बीटेक किया है और वह एक मल्टीनेशनल कंपनी में कार्यरत हैं। कार्तिक की प्रारंभिक शिक्षा सेंट गेब्रियल स्कूल से हुई| 12वीं पास करने के बाद इंजीनियारिंग की पढ़ाई करने के लिए कार्तिक ने IIT की तैयारी की और वह परीक्षा पास करने में सफल रहें और ख़ास बात यह है कि कार्तिक को उनके होम टाउन रुड़की इंजीनियरिंग कालेज में दाखिला मिला और उन्होंने इस कालेज से बी.टेक की डिग्री प्राप्त की|
मात्र 8 साल की उम्र में हुए बीमार- कार्तिक आज जिस ऊंचाई पर हैं उसको पाना किसी पहाड़ को तोड़ने से कम नहीं है उनके बुलंद हौसले को लोग सलाम कर रहें है| कार्तिक को बहुत छोटी उम्र में एक बीमारी मस्कुलर डिस्ट्रॉफी ने जकड़ लिया इस बीमारी में शरीर के अंग धीरे-धीरे काम करना बंद कर देते हैं| बीमारी के पता चलने के बाद उन्होंने इलाज और योग का सहारा लिया लेकिन वह पूरी तरह से ठीक नहीं हो सके और उन्हें व्हीलचेयर के सहारे ही जिंदगी गुजारनी पड़ेगी यह बात डॉक्टर्स ने उन्हें बता दी थी| आज भले ही उनकी शारीरिक शक्ति कमजोर हैं लेकिन उनकी इच्छा शक्ति बहुत मजबूत है उसी के दम पर वह आज इस मुकाम पर पहुंचे हैं|
वैज्ञानिक के तौर पर काम करते हुए की तैयारी- कार्तिक श्रीहरिकोटा कोटा में वैज्ञानिक के तौर पर कार्यरत हैं| उन्होंने बताया कि वह काम के साथ ही साथ अपना समय निकाल कर UPSC की तैयारी करते थे| वह कहतें है कि मुझे हर दिन 9 घंटे काम करने होते थे और जो समय बचता उसी के हिसाब से पढ़ाई किया करते थे| सुबह 6 बजे उठकर 2घंटे पढ़ाई करने के बाद ऑफिस चले जाते और शाम को ऑफिस से लौटेने के बाद 6.30 से 11 बजे तक पढ़ाई किया करते थे| जिस दिन छुट्टी हुआ करती थी, उस दिन ज्यादा पढ़ाई करने का समय मिल जाता था|
दिल टूटा लेकिन हिम्मत नहीं हारी- कार्तिक ने IIT रुड़की से स्नातक करने के बाद गेट (GATE) के साथ ही संघ लोक सेवा आयोग और इंजीनियरिंग सेवा परीक्षा सहित कई अन्य परीक्षाओं को पास किया, लेकिन अपनी शारीरिक अक्षमता के कारण प्लेसमेंट प्राप्त करने में सफल नहीं हो पाए|
कार्तिक ने इंडिया टुडे को दिए इंटरव्यू में बताया कि मैंने जब इंजीनियरिंग सेवा परीक्षा के प्रारंभिक परीक्षा को पास किया और मुख्य परीक्षा दी और उसके बाद जब रिजल्ट आया तब मेरा दिल टूट गया| जब मुझे पता चला कि उस लिस्ट में मेरा नाम नहीं है, जब इसका कारण जानने की कोशिश की तो पता चला कि मैं दिव्यांग होने के कारण किसी भी पद के लिए योग्य नहीं हूँ|
वह कहतें है कि इंजीनियरिंग सेवाओं से अस्वीकृति के कारण ने ही उन्हें सिविल सेवाओं में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया| कार्तिक के मन में एक बात ने घर कर लिया था, कि मै कुछ ऐसा करूँगा जो मिसाल बन जाए| ताकि विकलांगता के कारण छात्रों की पहुंच सीमित न रहे |
अपने पहले ही प्रयास में पास की परीक्षा- पहली बार कार्तिक ने 2019 की सिविल सर्विस परीक्षा में हिस्सा लिया और उसमे वह सफल भी हुए साथ ही उनको 813 वीं रैंक मिली| लेकिन उन्हें पोस्टल डिपार्टमेंट में अच्छा पद भी मिल रहा था, लेकिन वह अपने अंको में और सुधार करना चाहते थे साथ ही उससे अच्छी पोस्ट की इच्छा रखते थे, इसलिए उन्होंने इस पोस्ट को ज्वाइन नहीं किया| अपने दूसरे प्रयास में वह प्रीलिम्स को पास करने में सफल रहे लेकिन मेंस के बाद उनको रैंक नहीं मिली और इस बार असफल हो गए|
कार्तिक बतातें है कि इस बार की असफलता ने उन्हें कड़ी मेहनत करने और अच्छी रैंक हासिल करने को प्रेरित किया| उन्होंने एक बार फिर से अपने आप को परखा और जो भी कमियां थी उनको दूर किया, उनको लिखने में थोड़ी दिक्कत थी तो उसके लिए वह हर दिन अभ्यास करके उसको ठीक कर लिया करते थे|
कार्तिक ने इंटरव्यू में बताया कि मेरी माँ ने हमेशा मेरा साथ दिया बचपन से लेकर आज तक यह उनकी इच्छा शक्ति का परिणाम है जो मै सभी बाधाओं से लड़ कर अपने सपनों को हांसिल करने में सफल रहा|