जानिए! भारत के फ़ेमस हिल स्टेशन चोपता के बारें में, जहां घूम आप करेंगे स्वर्ग जैसा अनुभव
जानिए! चोपता के आस-पास घूमने की ख़ास जगहों के बारें में, जहां आप अपनी छुट्टियों का ले सकतें हैं आनंद
भारत में ऐसे दो राज्य हैं जहां पर्यटकों की भीड़ कभी ख़त्म ही नहीं होती हैं| उनमे सबसे पहले उत्तराखंड का नाम आता है, उसके बाद हिमांचल प्रदेश का| यहां के हिल स्टेशनों पर पूरे साल पर्यटकों का आना-जाना लगा रहता है| अगर आप पहाड़ों पर घूमने का प्लान कर रहें है, और आपको समझ नहीं आ रहा है कि कहाँ जाएं?| तो हम आज आपको बताएँगे| एक ऐसी जगह के बारें में जहां, आप जाने के बाद स्वर्ग जैसा अनुभव करेंगे| आपको इस जगह पर ऊँचे-ऊँचे बर्फ से ढके पहाड़, प्राकृतिक सुंदरता, धार्मिक स्थल के साथ ही एक दम शांत माहौल मिलेगा| यह जगह उत्तराखंड राज्य के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित लोगों के पसंदीदा हिल स्टेशनों में से एक हैं| इस जगह का नाम हैं चोपता| चोपता हिल स्टेशन होने के बावजूद इसकी असली पहचान तुंगनाथ मंदिर और चंद्रशिला शिखर की वजह से हैं| तुंगनाथ और चंद्रशिला शिखर की वजह से चोपता ट्रैकर्स के लिए किसी स्वर्ग से कम नहीं हैं| चोपता केदारनाथ वन्यजीव अभ्यारण का हिस्सा होने की वजह से, आपको यहां वन्यजीवों की कई दुर्लभ प्रजातियाँ देखने को मिलेंगी| उनमें कस्तूरी मृग और उत्तराखंड का राज्य पक्षी मोनाल का नाम प्रमुखता से आता है| आइए जानते हैं चोपता के उन जगहों के बारें में जहां जाने के बाद अपने ज़ेहन में से कभी नहीं भूला पाएंगे |
तुंगनाथ मंदिर- यह मंदिर चोपता से लगभग 4 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है| आप इस मंदिर तक टैक्सी या कैब से जा सकतें हैं| उत्तराखंड में भगवान शिव के पंच केदार मंदिरों में तुंगनाथ मंदिर तीसरे नंबर पर आता है| यह मंदिर समुद्रतल से 3680 मीटर की ऊंचाई के साथ दुनिया का सबसे ऊँचा शिव मंदिर है| ऐसा माना जाता है कि पांडवों ने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए 5 शिव मंदिरों का निर्माण करवाया था| उनमे केदारनाथ, तुंगनाथ, रुद्रनाथ, मध्यमहेश्वर और कल्पेश्वर महादेव मंदिर शामिल हैं| उन्ही पांच में से एक हैं, तुंगनाथ मंदिर, यह मंदिर लगभग 5000 साल पुराना है| इस मंदिर का कपाट पर्यटकों के लिए सिर्फ 6 महिने के लिए ही खुला रहता है| सार्दियों के दिनों में यहां बहुत बर्फ पड़ती है, इसलिए मंदिर के कपाट को बंद कर दिया जाता है|
चंद्रशिला शिखर- यह शिखर चोपता से 5.5 किलोमीटर की दूरी पर हैं| जिनमे से 3.5 किलोमीटर तक पक्की सड़क है, जो तुंगनाथ मंदिर तक जाती है| आप चोपता से कैब या टैक्सी से तुंगनाथ तक आसानी से पहुँच सकतें है| उसके बाद आप 2 किलोमीटर तक ट्रैक करके चंद्रशिला शिखर पर पहुँच सकतें हैं| यह शिखर देखने में बहुत ही लाजवाब लगता है| इस शिखर के चोटी से आस-पास के नजारों को देख आप देखतें ही रह जायेंगे| आपका मन यह जरुर कहेगा कि वाह! क्या खूबसूरत जगह है| यह शिखर समुद्रतल से 4130 मीटर की ऊंचाई पर है| वैसे तो चंद्रशिला शिखर घूमने आप साल के 12 महीने आ सकतें हैं| लेकिन जनवरी और फरवरी में यहाँ कई फिट तक बर्फ़ जमी रहती है| जिसकी वजह से सड़क मार्ग से संपर्क टूट जाता हैं| साल के इन दो महीनों में पर्यटक इस शिखर पर देवरिया ताल से होकर जाते है| देवरिया ताल से चंद्रशिला शिखर की दूरी 27 किलोमीटर की है| आपको यह दूरी तय करने में 3 दिन का समय लग जायेगा| अगर आप जनवरी और फरवरी में इस शिखर पर ट्रेकिंग करने का मन बना रहें है, तो आपको कुछ सावधानियां बरतनी जरुरी हैं| आप इन दिनों बिना गाइड के ट्रेकिंग ना करें, अपने साथ ट्रेकिंग से जुड़े इक्विपमेंट को लेकर जाना ना भूलें| वैसे ज्यादातर एजेंसिया उन दिनों चन्द्रशिला का ट्रैक सुरक्षा कारणों से बंद रखतीं हैं|
देवरिया ताल- चोपता से देवरिया ताल की दूरी लगभग 20 किलोमीटर की हैं| आप चोपता से बस या कैब के द्वारा आसानी से देवरियाताल पहुँच सकतें हैं| देवरियाताल झील एक बहुत ही खूबसूरत पर्यटक स्थल है| यह झील समुद्रतल से 2438 मीटर की ऊंचाई पर झरी गाँव से लगभग 3 किलोमीटर दूर पर स्थित है| इस झील का उल्लेख हिन्दू धर्म से जुड़े हुए कई ग्रंथो में मिलता है| इसके अलावां इस झील का संबंध महाभारत के कुछ घटनाक्रम से भी जुड़ा है| आप इस झीले के पानी में चौखम्भा पर्वत श्रृखला को देख सकतें हैं| जिसे देख कर आपको अविस्मरणीय आनंद मिलेगा| देवरिया ताल सबसे खूबसूरत झील मानी जाती हैं| यहां पर आने वाले ज्यादातर पर्यटक इस झील से ही ट्रेकिंग की शुरुआत करतें हैं| अधिकांश ट्रैकर देवरियाताल तक ट्रैक करने के बाद रात के समय इसी झील के पास बने शिविर में रुकतें हैं, और सुबह होते ही वापस लौट जातें हैं| अगर आप चोपता की यात्रा पर हैं तो इस झील को देखना ना भूलें|
बिसुरीताल- चोपता से बिसुरीताल की दूरी लगभग 30 किलोमीटर की है| यह ताल किसी भी सड़क मार्ग से जुड़ा हुआ नहीं है| इसलिए आपको इस झील तक जाने के लिए पैदल यात्रा करनी पड़ेगी| बिसुरीताल झील ट्रेकर्स के लिए किसी खजाने से कम नहीं है क्योंकि यहां तक पहुँचने के लिए आपको संकरे रास्तों, घने जंगलों, नदी-नालों और झरनों को पार करते हुए जाना होगा| इस ट्रैकिंग का अधिकांश हिस्सा केदारनाथ वन्यजीव अभ्यारण्य में से हो-कर गुजरता है, जो आपकी इस ट्रैकिंग यात्रा को और भी ज्यादा रोमांचक और शानदार बना देता है| अगर आपकी किस्मत अच्छी रही तो इस ट्रैकिंग के दौरान आपको हिमालयन तेहर, कस्तूरीमृग, मोनाल, हिम तेंदुआ, जंगली बिल्ली जैसे दुर्लभ वन्यजीवों को भी देख सकते है। बिसुरीताल की यात्रा ज्यादातर वही लोग करतें है जिन्हें शांति पसंद हो और असली रोमांच का मजा लेना चाहतें हैं|
उखीमठ- चोपता से उखीमठ लगभग 45 किलोमीटर की दूरी पर हैं| उखीमठ उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले का प्रमुख तीर्थ स्थल है| आप इस जगह बस या टैक्सी से जा सकतें हैं| उखीमठ समुद्रतल से 1311 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है| एक पौराणिक कथा के अनुसार भगवान श्री कृष्ण के पौत्र अनिरुद्ध और बाणासुर की बेटी उषा का विवाह इस स्थान पर हुआ था, उषा के नाम पर ही इस स्थान का नाम उखीमठ पड़ा| पंच केदार मंदिरों के अलावां ओंकारेश्वर भगवान की पूजा भी उखीमठ में पूरे साल की जाती है।
दुगलबिट्टा- उखीमठ से चोपता जाते समय चोपता से 7 किलोमीटर पहले ही पड़ता है दुगलबिट्टा| इसका अर्थ होता है दो पहाड़ों के बीच की जगह| यह जगह अभी कुछ समय पहले से ही पर्यटन के लिए फ़ेमस हुई है| स्थानीय लोगों के अनुसार पहले यह जगह चोपता जाने वाले लोगों के लिए विश्राम स्थल हुआ करती थी| लेकिन जब सर्दियों के दिनों में चोपता पर बर्फ पड़ी रहती हैं और रास्ते बंद रहतें हैं, तो पर्यटक इस खूबसूरत जगह पर समय बिताना पसंद करतें हैं| यह जगह एक हिल स्टेशन है जो बहुत ही खूबसूरत हैं| यहां से आपको देखने पर आस-पास की जगह बहुत ही सुंदर दिखाई देतीं हैं, जो बर्फ से ढकी होती हैं| यहां पर बैठ कर आपको गजब की शांति का अनुभव होगा| आपके शरीर को जब ठंडी हवाएं छू कर गुजरेंगी तो आपका मन मंत्रमुग्ध हो जाएगा|
चोपता में कहाँ ठहरें- वैसे आप यहां आने से पहले भी होटल बुक करके आ सकतें हैं| अगर आपका प्लान अचानक से बना और आप होटल बुक नही कर पाएं हैं तो आपको टेंशन लेने की जरुरत नहीं हैं| चोपता के आस-पास के गाँव में पर्यटकों के रुकने के लिए कई छोटे और बड़े होटल बने हुए है| इसके अलावां चोपता के आसपास कई कैंप साईट और गेस्टहाउस भी बने हैं जहां आप रूम बुक कर ठहर सकतें हैं| आपको एक बात की और जानकरी और दें दे! कि यहां बिजली की सुविधा बहुत कम उपलब्ध हैं| इसलिए आप यहां आने से पहले मोबाईल और लैपटॉप को फुल चार्ज करके ले आएं हो सके तो एक्स्ट्रा बैटरी भी साथ लेकर आएं| आप यहां पर बने होटलों में मोबाईल और लैपटॉप चार्ज कर सकतें हैं|
कैसे पहुंचे चोपता:
हवाई मार्ग- अगर आप दिल्ली से जा रहे हैं, तो आपको सबसे पहले देहरादून के जॉली ग्रांट एयरपोर्ट आना होगा| चोपता के सबसे नजदीक यही एरपोर्ट हैं| देहरादून से चोपता की दूरी मात्र 179 किलोमीटर है| आप देहरादून से बस या टैक्सी के द्वारा चोपता आसानी से पहुँच सकतें हैं|
रेल मार्ग- चोपता के सबसे नजदीक रेलवे स्टेशन ऋषिकेश हैं| ऋषिकेश से चोपता की दूरी मात्र 162 किलोमीटर हैं| ऋषिकेश स्टेशन पर उतरने के बाद आप चमोली-गोपेश्वर-चोपता के रास्ते से बस, टैक्सी या कैब के द्वारा चोपता आसानी से पहुँच सकते हैं|
सड़क मार्ग- ऋषिकेश और देहरादून से चोपता जाने के लिए उत्तराखंड परिवहन, बसों का संचालन करता है| आप बस के द्वारा रुद्रप्रयाग या उखीमठ पहुँच सकतें हैं| यहाँ पहुँचने के बाद आप टैक्सी या कैब की मदद से चोपता आसानी से पहुँच सकतें हैं| अगर आप अपने निजी वाहन से जा रहें है, तो सबसे पहले आपको ऋषिकेश पहुंचना होगा| उसके बाद आपको ऋषिकेश से राष्ट्रीय राजमार्ग 58 पकड़कर रुद्रप्रयाग जाना होगा| फिर आपको रुद्रप्रयाग से राष्ट्रीय राजमार्ग 109 पकड़कर उखीमठ के रास्ते से चोपता पहुँच सकते है|
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