इलेक्ट्रानिक की दुनिया में हेवेल्स का बड़ा नाम है | इस नाम से शायद ही कोई अछूता हो | आज जब भी कोई इलेक्ट्रानिक सामान खरीदने के लिए बाजार जाता है, तब उसकी सबसे विश्वनीय और पहली पसंद हेवेल्स ही होती हैं | हम आज आपको बताएँगे हेवेल्स कंपनी और उसके मालिक कीमत राय गुप्ता के बारें में कि कैसे ? उन्होंने मात्र 10 हजार रूपये से बिजनेस शुरूकर हजारों करोड़ की कंपनी बना दी |

कीमत राय गुप्ता के बारे में – कीमत राय गुप्ता का जन्म मलेरकोटला (अब पाकिस्तान में) के एक छोटे से गावं में साल 1937 हुआ था | कीमत राय ने अपनी रोजी-रोटी के लिए पहले शिक्षक के रूप में काम किया | लेकिन शिक्षक के तौर पर काम करना उनको ज्यादा पसंद नहीं था, उनका सपना था, कुछ बड़ा करने का | इसलिए मात्र 21वर्ष की उम्र में वह शिक्षक की नौकरी छोड़ दिल्ली में अपने रिश्तेदार के पास आ गए | उस समय कीमत राय के पास 10 हजार रूपये थे और वह इन्ही पैसों से अपना कुछ नया शुरू करना चाहते थे |


दिल्ली आने के बाद उनको कुछ समझ नहीं आ रहा था कि क्या करें, तब उनके रिश्तेदार ने उन्हें एक सुझाव दिया कि वह इलेक्ट्रानिक का काम सीख लें | इसके बाद कीमत राय अपने रिश्तेदार का सुझाव मानते हुए दिल्ली के भागीरथ पैलेस के बाजार में इलेक्ट्रानिक का काम सीखने लगे | काफी कम समय में वह इलेक्ट्रॉनिक व्यापर की बारिकियों को समझने लगे थे | उसके बाद कीमत ने इलेक्ट्रॉनिक सामान की खुद की दुकान शुरू कर दी |

खरीद ली बंद हो रही कंपनी – कीमत राय अपनी दुकान पर एक इलेक्ट्रानिक कंपनी हवेलीराम गाँधी के सामानों को बेचा करते थे |उनको किसी के माध्यम से पता चला कि ये कंपनी अभी आर्थिक तंगी से जूझ रही है और इसके मालिक इसको बंद करना चाहते हैं | ये बात जानकर कीमत को एक उम्मीद दिखी क्योंकि कीमत अपना काम बढ़ाना चाहते थे और उस कंपनी के मालिक कंपनी को बेचना चाहते थे | इस बात का फ़ायदा उठाकर उन्होंने कंपनी के मालिक से संपर्क किया और उन्होंने अपनी बात रखी, कि मै यह कंपनी खरीदना चाहता हूँ | कंपनी मालिक से बात हुई और 7 लाख में डील तय हो गई, लेकिन कीमत के पास तुरंत इतने पैसे नहीं थे | इसलिए उन्होंने पैसा जुटाने के लिए कुछ समय माँगा और जैसे–तैसे कर करके उन्होंने पैसे का इंतजाम कर लिया और उसके साथ ही हवेलीराम गाँधी कंपनी कीमत राय की हो गई |

बढ़ाया अपना व्यवसाय – कीमत राय का इलेक्ट्रानिक दुकान पर किए गए काम का अनुभव यहाँ काम आया | उन्हें अच्छी तरह से पता था कि ग्राहकों को क्या पसंद है क्या नहीं | साल 1976 में कीमत ने दिल्ली के कीर्ति नगर में अपना पहला कारखाना स्थापित किया | और वहा पर सबसे पहले रिवायरेवल स्विच का काम शुरू किया | इस काम से उनको अच्छी कमाई होने लगी | वंही एक साल बाद उन्होंने उर्जा मीटरों का निर्माण करना शुरू कर दिया | उसके बाद उन्होंने टावर्स एंड ट्रांसफॉर्मर्स लिमिटेड कंपनी का अधिग्रहण किया और इसे मात्र 1 वर्ष में ही एक लाभदायक विनिर्माण ऊर्जा मीटर कंपनी में तब्दील कर दिया। साल 1980 में उन्होंने फरीदाबाद में एक और विनिर्माण संयत्र की स्थापना की और वंहा पर कंट्रोल गियर उत्पादों का निर्माण शरू किया | इसी साल उन्होंने पावर केबल्स और तारों के लिए अलवर राजस्थान में एक विनिर्माण कंपनी का अधिग्रहण किया |


आज कीमत राय ने अपनी मेहनत से डूब रही कंपनी को उस उचाईयों पर पहुँचाया है, जो आज दुनिया के 51 देशों में 91 से अधिक निर्माण इकाइयों के साथ काम कर रही है | इन इकाइयों में आज हजारों कर्मचारी काम कर रहें है | हेवेल्स इंडिया ली. दुनिया की 5वीं सबसे बड़ी इलेक्ट्रानिक कंपनी बन चुकी है | वंही इस कंपनी की 2020 तक बाजार पूंजी 38158 करोड़ हो गई है | हेवेल्स के शेयर बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज में 'ए' श्रेणी में लिस्टेड हैं और एसएंडपी बीएसई समूह में शामिल हैं। कंपनी में प्रमोटरों की 61 प्रतिशत हिस्सेदारी है | 2011-14 के दौरान, स्टॉक ने अपनी असाधारण वृद्धि के बाद 300% से अधिक रिटर्न दिया था। हैवेल्स के प्रमुख समकक्षों में क्रॉम्पटन ग्रीव्स और ओरिएंट इलेक्ट्रिक शामिल हैं |