संघ लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित की जाने वाली सिविल सर्विस परीक्षा पास करना हर युवा का सपना होता है। यह परीक्षा देश की सबसे कठिन परीक्षा मानी जाती है। इस परीक्षा को पास करने के लिए देश के लाखों युवा दिन रात मेहनत करते हैं। लेकिन सफलता कुछ को ही मिलती है। किसी ने क्या खूब कहा है कि "मेहनत इतनी खामोशी से करो की आपकी कामयाबी शोर मचा दे"। ऐसे ही कुछ खामोशी से मेहनत कर सफलता हासिल की है हिमांचल प्रदेश की रहने वाली शालिनी अग्निहोत्री ने। उन्होंने अपने घरवालों से छुपाकर यूपीएससी की तैयारी की और साल 2011 की UPSC परीक्षा में 285वीं रैंक हासिल कर IPS अफसर बनी।


मां के साथ घटी एक घटना की वजह से बनी अफसर- शालिनी अग्निहोत्री ने अपने IPS अफसर बनने के पीछे की एक कहानी बताई। उन्होंने कहा कि एक बार वह अपने मां के साथ बस में सफ़र कर रहीं थी| उसी दौरान उनकी मां बस के अंदर एक सीट पर बैठी थी। उनके ठीक पीछे बैठे एक व्यक्ति ने उनकी मां के सीट पर अपना हाथ रखकर बैठा था। जिससे बार बार उनकी मां को इस व्यक्ति का हाथ टच हो रहा था। कई बार हाथ हटाने के लिए उनकी मां ने और उन्होंने कहा, तब वह व्यक्ति यह कहते हुए कि क्या तुम कहीं की कलेक्टर हो जो तुम्हारी बात मान लूं और उसने अपना हाथ हटाने से मना कर दिया। उस व्यक्ति की वह बात सुनकर शालिनी ने अपने मन में यह फैसला किया कि वह कलेक्टर बनेंगी और ऐसे लोगों को उनकी सही जगह दिखाएंगी।

ग्रेजुएशन के साथ ही शुरू की UPSC की तैयारी- हिमाचल प्रदेश के ऊना जिले के ठठ्ठल गांव की रहने वाली शालिनी अग्निहोत्री की शुरूआती पढ़ाई उन्ही के पास के एक स्कूल से पूरी हुई। उन्होंने कड़ी मेहनत से 10वीं की परीक्षा 92 प्रतिशत के साथ पास की। और 12वीं परीक्षा में 77 प्रतिशत अंक हासिल करने में कामयाब रही। दसवीं से कम अंक होने के बावजूद उनके माता पिता ने उन पर भरोसा जताया और आगे पढ़ने के लिए प्रेरित किया। उसके आगे की पढ़ाई शालिनी ने हिमांचल प्रदेश के पालमपुर स्थित एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी से अपना ग्रेजुएशन पूरा किया। शालिनी ने ग्रेजुएशन की पढ़ाई के दौरान ही UPSC की तैयारी की शुरुआत कर दी थी।


माता-पिता से छुपाकर कर की UPSC की तैयारी- शालिनी ने मीडिया से बातचीत में बताया कि कॉलेज से लौटने के बाद घरवालों को बिना बताए घर पर ही यूपीएससी की तैयारी किया करती थीं। उन्होंने अपने माता-पिता को तैयारी की बात इसलिए नही बताई, कि उन्हें ऐसा लगता था की यह बेहद कठिन परीक्षा है और वह इसे पास नहीं कर पाईं तो घरवाले निराश हो जाएंगे। यही वजह रही की उन्होंने यूपीएससी की तैयारी के लिए कहीं कोचिंग नही की, और न ही किसी अन्य शहर में तैयारी करने गई।


कम कमाई के बावजूद अपने बच्चों के पूरे किए सपने- शालिनी के पिता रमेश अग्निहोत्री बस कंडक्टर का काम करते थे। उनकी कमाई सिर्फ इतनी थी, कि जिससे उनके घर का खर्च चल सके। बावजूद इसके उन्होंने अपने बच्चों को पढ़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। उन्होंने कड़ी मेहनत करके अपनी बड़ी बेटी का डॉक्टर बनने का सपना पूरा किया। वहीं उनके बेटे ने एनडीए परीक्षा पास करके इंडियन आर्मी ज्वॉइन की है।


पहले प्रयास में पास की यूपीएससी परीक्षा- शालिनी अग्निहोत्री ने साल 2011 में यूपीएससी का अपना पहला अटेम्प्ट दिया। उनकी तैयारी इतनी पक्की थी कि उन्होंने अपने पहले ही प्रयास में देश की सबसे कठिन परीक्षा को पास कर 285वीं रैंक हासिल की। उन्होंने आईपीएस का चयन किया। उनकी इस सफलता से उनके माता माता और घर वाले बहुत खुश हुए।