कहते हैं जब कोई इंसान कुछ करने का दृढ़ संकल्प कर लेता है फिर चाहे उसके सामने भी चुनौती आ जाए, वह हर परिस्थितियों को मात देकर अपनी मंजिल पा ही लेता है| हाल हीं में मध्य प्रदेश सिविल जज वर्ग-2 का परिणाम घोषित हुआ है| इस बार के परिणाम में प्रदेश के कई गरीब उम्मीदवारों ने बाज़ी मार कर अपना परचम लहराया है| ऐसे ही सफल उम्मीदवारों में एक नाम शामिल है, शिवाकांत कुशवाहा जिन्होंने ठेला लगाने के साथ-साथ इस कठिन परीक्षा को पास कर अपने माँ का सपना पूरा किया है|

एमपी सतना जिले के अमरपाटन गावं के रहने वाले शिवाकांत कुशवाहा की ख़ुशी का ठिकाना तब नहीं रहा जब सिविल जज वर्ग-2 का रिजल्ट आया, इस परीक्षा में शिवाकांत ने पूरे प्रदेश में दूसरा स्थान हासिल किया है| शिवाकांत अपनी कड़ी मेहनत और निरंतर प्रयास से इस परीक्षा को पास करने में सफल हुए हैं|


पिता करते थे मजदूरी खुद लगाते थे ठेला– शिवाकांत कुशवाहा बताते है मेरे परिवार में माता-पिता के अलावा 4 भाई-बहन और मेरी पत्नी है| वह बताते हैं कि मेरी बचपन से ही पढ़ाई में रूचि रही हैं, लेकिन घर की आर्थिक स्थिति के कारण मै पढ़ नहीं पाता था| मेरे पिता कुंजी लाल कुशवाहा मजदूरी का काम करतें थे| वह बतातें है कि एक समय था जब पिता जी साम को मजदूरी कर के घर आते थे उसके बाद मजदूरी से मिले पैसे से घर का राशन आता था, तब कहीं जाकर मेरे घर में खाना बनता था | मेरी माँ भी परिवार को पालने के लिए दूसरों के घर में काम करती थी| और जब मै बड़ा हुआ तो मैंने भी घर की आर्थिक स्थिति में सहयोग करने के लिए ठेले पर सब्जी बेचने लगा|


माँ का सपना था बेटा बने जज– शिवाकांत की शुरूआती पढ़ाई अमरपाटन से हुई| यही एक सरकारी स्कूल से उन्होंने 12वीं की पढ़ाई की| उसके बाद उन्होंने LLB की पढ़ाई करने के लिए ठाकुर रणमत सिंह महाविद्यालय में दाखिला लिया वंहा से पढ़ाई पूरी की| उसके बाद वह जिला न्यायालय में प्रैक्टिस करने लगे साथ ही सिविल जज की तैयारी में जुट गए| शिवाकांत बताते है कि मेरा परिवार बहुत गरीब था, मेरी माँ हमेशा कहा करती थी कि बेटा पढ़-लिखकर जज बन जा| शिवाकांत की माँ का निधन साल 2013 में कैंसर की वजह से हो गया था| वह कहतें है कि जब आज मैंने अपनी माँ का सपना पूरा कर दिया, लेकिन माँ इस ख़ुशी के मौके पर हमारे साथ नहीं हैं|

9 बार हुए फेल, 10वीं बार में मिली सफलता- शिवाकांत कुशवाहा को इस परीक्षा में 10वें प्रयास में सफलता मिली है| वह बताते है कि मै हर दिन 15 से 20 घंटे पढ़ाई करता था लेकिन फिर भी मेरा सेलेक्शन नहीं हो रहा था, लेकिन मैं कभी हिम्मत नहीं हारा, 9 बार असफल होने के बाद भी मैंने प्रयास करना नहीं छोड़ा और आख़िरकार 10वीं बार में मैंने सफलता हासिंल कर ही ली , और शिवाकांत ने सिर्फ सफलता भर हासिल नहीं की बल्कि राज्य में दूसरा स्थान प्राप्त किया|


पत्नी ने किया सपोर्ट- शिवाकांत बताते हैं कि जब भी मै उदास और निराश हुआ करता था, उस समय मेरी पत्नी मुझे हिम्मत देती, और वह कहती, आप अपना प्रयास पूरे मन से करें एक दिन जरुर सफल होंगे| वहीँ उसके द्वारा कही बात आज सच हो गई और मै सफल हो गया|

आज शिवाकांत के इस सफलता पर देश-प्रदेश के बहुत से लोग बधाई दें रहे हैं |वहीँ शिवाकांत अपनी इस सफलता को अपनी माँ को समर्पित करतें है|