ब हम स्कूल में पढ़ते थे तो टीचर के उपस्थित न होने पर खुशी से झूम उठते थे। वो दिन आजादी से भरपूर होता था। लेकिन आज हम एक ऐसे टीचर की बात करेंगे जिसके स्कूल छोड़कर जाने पर बच्चों के साथ साथ गांव वालों के भी आँखो से आंसू बहने लगे। आशीष डंगवाल, एक ऐसे टीचर जो केवल एक शिक्षक नहीं है बल्कि कुछ ही सालों में सेलिब्रिटी बन गए।

उत्तरकाशी के भंगोली गांव के राजकीय इंटर कॉलेज में वो टीचर थे। उस गांव में उन्होंने विलुप्त हो चुके घराट(पनचक्की) को लेकर काम किया। उन्होंने स्कूल के बच्चों के साथ मिलकर घराट का स्वरूप बदला। इसको लेकर वो अचानक ही चर्चा में आ गए। उनकी सोशल मीडिया पर भी काफी तारीफ की गई। उनके काम को फेसबुक पर बहुत पसंद किया गया है।

साल 2016 से वो टीचर हैं और उनकी पहली पोस्टिंग भंगोली गांव में हुई थी। वो क्लास 10वीं तक के बच्चों को सामाजिक विज्ञान पढ़ाते थे। तीन साल तक यहाँ पढ़ाने के बाद साल 2019 में उनकी पोस्टिंग गरखेत टिहरी गढ़वाल में हुई जहां उन्होंने राजनीति विज्ञान पढ़ाना शुरू किया।

बीते साल वो एक बार फिर अपने भारती प्रोजेक्ट के चलते चर्चा में आए। आशीष बताते हैं कि स्कूल में लड़कियों का स्तर काफी अच्छा रहता है। हर साल हाईस्कूल तक उनके प्रदर्शन की खबर हम पढ़ते हैं। लेकिन उच्च शिक्षा में बेटियों की उपस्थिति बहुत कम दिखती है।

इसकी कई वजह है। आर्थिक स्थिति, परिवार का सहयोग न मिलना और भी बहुत कुछ। आशीष के अनुसार भारती प्रोजेक्ट के तहत वो पहाड़ की बेटियों को उड़ान देना चाहते हैं। हालांकि आशीष ने इस प्रोजेक्ट से जुड़ी और कोई भी जानकारी नहीं दी है।

आशीष का ये भी कहना है कि वो और उनकी उम्र के लोगों को जो शिक्षा प्राप्त नहीं हो पाई वैसा वो अपनी आने वाली पीढ़ी के साथ नहीं करेंगे। इसलिए वो सरकारी स्कूलों को स्मार्ट स्कूल बनाना चाहते हैं।और समाज के सक्षम लोगों को भी अपने काम का हिस्सा बनाना चाहते हैं।


आपको बता दें कि इंडो-अफ्रीकन अंतरराष्ट्रीय संगठन की ओर से आशीष को अपने साथ काम करने का ऑफर दिया गया था। ये संगठन नासा के साथ काम करते हैं। आशीष को विदेश जाने का मौका मिल रहा था लेकिन उन्होंने विदेश जाने का ऑफर ये कहकर ठुकरा दिया कि वो अपने देश में रहकर यहाँ के बच्चों के लिए काम करना चाहते हैं।

हमारी प्रतिक्रिया- आशीष डंगवाल बिना किसी स्वार्थ केवल बच्चों का भविष्य सुधारने के लिए काम कर रहे हैं। और सभी के चेहरे पर मुस्कान ला रहे हैं। आशीष डंगवाल जैसे टीचर की देश को सख्त आवश्यकता है।