किस इंसान की किस्मत कब करवट लेगी ये कोई नहीं जानता। ..कब कोई राजा से रंक बन जाये और कौन रंक से राजा.... ये कोई नहीं जानता।

ऐसी ही कहानी हम आज लेकरआये है कि कैसे एक किसान जो किसी समय मात्र 80 रूपए एक महीने में कमाता था आज वही इंसान करोड़ो रूपए कमा रहा है एक इंसान जो किसी समय अपनी ज़िंदगी ठीक से गुजर-बसर नहीं कर पा रहा था आज वही किसान अपने प्रोडक्ट को भारत ही नही बल्कि दुनिया के 123 देशों में भेज कर सालाना करोड़ो की कमाई कर रहा है | यह किसान हैं गुजरात के रहने वाले रमेश रुपरेलिया। रमेश को बचपन से ही संगीत का शौक था | रमेश ने अपने इस शौक को पूरा करने के लिए हारमोनियम बजाना सीख लिया और गावं-गावं जाकर हारमोनियम बजाने लगे, साथ ही संगीत के माध्यम से गाय के बारे में बताने लगे, उसके फायदे गिनाते और गाय की महत्ता सुनाते | इसी वजह से उनके मन में गौ सेवा करने का प्रबल विचार आया और आज इनके पास 150 से ज्यादा गायें है जिनकी ये सेवा करते है | साथ ही रमेश आर्गेनिक खेती भी करते है| गाय के दूध से घी तैयार करते है | उस घी को भारत सहित दुनिया के 100से ज्यादा देशों में बेचते हैं |

पूरा परिवार करता था मजदूरी – आज भले जी रमेश भाई करोड़ों का व्यापार कर रहें है | कभी वो समय भी था जब इनका पूरा परिवार मजदूरी करता था, रमेश के माता-पिता दूसरे के खेत में मजदूरी करते थे, तब जाकर इनके परिवार का खर्च चल पाता था | गरीबी की वजह से रमेश भाई ज्यादा पढ़-लिख नहीं सके. उनकी पढ़ाई सिर्फ 7वीं तक कक्षा तक ही हो सकी| पढाई के बाद वे गावं के दूसरे लोगों की गाय चराते थे, और उन्हें इसके बदले में 80 रुपये महीनें की तनख्वाह मिलती थी | द बेटर इंडिया से बात करते हुए रमेश ने बताया कि मैंने अपने जीवन में बहुत संघर्ष किया है | लेकिन कभी हिम्मत नहीं हारी और आगे बढ़ता गया |

गौ सेवा का आया विचार – जब रमेश भाई मजदूरी करते थे, तभी बहुत बार उनके मन में खेती करने का विचार आया करता था | तब उन्होंने हिम्मत करके गावं के ही एक जैन परिवार से जमीन को किराये पर लेकर खेती करना शुरू किया | इन्होने केमिकल वाली खेती की जगह ऑर्गेनिक खेती को अपनाया | वे पहले तो गावं से ही गोबर, गौ मूत्र को इकठ्ठा करते और उसको खेतों में डालते थे |देखते ही देखते उनमे बहुत से बदलाव आने लगे, ऑर्गेनिक खेती ने अपना कमाल दिखाना शुरू कर दिया। रमेश बताते हैं कि साल 2010 में मात्र 10 एकड़ जमीन में 38000 किलो प्याज का उत्पादन किया | इनके प्याज सभी मंडियों तक जाने लगे, इस बात की चर्चा जोरों पर थी |कई लोकल न्यूज चैनलों ने इनकी सफलता की कहानी को दिखाया | इसके दूसरे साल में रमेश भाई ने 360 क्विंटल हल्दी का उत्पादन किया | खेती के मुनाफे से रमेश ने अपने लिए 4 एकड़ की जमीन ख़रीदी और उस जमीन पर गौशाला बनाने का फैसला किया | आज इनकी गौशाला में 150 से ज्यादा गायें है जिनकी ये सेवा करते हैं |

सिखने की ललक हमेशा रही- रमेश भाई भले ही ज्यादा पढ़-लिख नहीं सके, लेकिन उनकी नई चीजों को सिखने की इच्छा हमेशा प्रबल रहती थी | रमेश ने बताया, कि हम खेती तो बहुत अच्छी कर लेते थे लेकिन मार्केटिंग नहीं हो पाती थी क्योंकि मार्केटिंग का ज्यादा ज्ञान नहीं था | इसके लिए रमेश ने 38 की उम्र में कंप्यूटर सीखा और इंटरनेट के माध्यम से इमेल के द्वारा आर्डर लेने लगे | रमेश भाई सोशल मिडिया को सफलता का एक हिस्सा मानते है, उन्होंने अपना खुद का एक यूट्यूब चैनल बनाया है | उस चैनल में गौ-सेवा से जुड़े वीडियो अपलोड करते है | उनका ये चैनल धीरे-धीरे फेमस हो गया और लोग उनके प्रोडक्ट के बारें में जानकारी लेने लगे हैं |

कई देश के लोगों को दी ट्रेंनिग – रमेश भाई का जब बिज़नेस चलने लगा तब वो गावं के युवाओं को रोजगार के लिए प्रेरित करने लगे | वे कहते हैं कि अगर गावं का हर युवा गावं में ही मेहनत करें, तो हमें कुछ चीजों को छोड़कर बाकि कुछ भी बाहर देश से मगवाना ना पड़े | आज रमेश भाई ने दुनिया के 23 देशों में लगभग 10 हजारों लोगों को ट्रेनिग दे चुके है, वे अपने ऑर्गेनिक घी बनाने और खेती के बारे में जानकरी देतें है |