आपने बचपन में ट्रेन का सफ़र तो जरुर किया होगा और जब आपने पहली बार रेलवे स्टेशन देखा होगा, तो उसे देखकर हैरानी तो जरुर हुई होगी| क्योंकि उस समय बने हुए रेलवे स्टेशन आज के बने हुए नए रेलवे स्टेशनों की तुलना में बेहद ही भव्य और शानदार हुआ करते थे| लेकिन समय के साथ-साथ पुराने स्टेशनों पर हुए नवीनीकरण की वजह से ज्यादातर रेलवे स्टेशन अपनी ऐतिहासिक पहचान खो चुके हैं| बदलते समय के साथ ही देश के बहुत से पुराने स्टेशन खंडहर में तब्दील हो गए हैं, वहीं कुछ को सरकार ने मोडिफाई करके नया बना दिया है| लेकिन उन्हीं में कुछ बचे हुए स्टेशनों के बारे में आज हम आपको बताने जा रहे है, जोकि समय के बदलाव के साथ आज भी अपनी भव्यता और सुंदरता के लिए जाने जाते हैं|

भारत में ज्यादातर लोग ट्रेन से यात्रा करना पसंद करते है, क्योंकि भारतीय रेलवे से यात्रा करना बहुत ही सस्ता और सुलभ है| आज भले ही तमाम प्रकार के साधन उपलब्ध हों लेकिन एक समय था, जब बड़े से बड़ा आदमी ट्रेन से सफ़र करता था| क्योंकि अगर ज्यादा दूर जाना हो तो ट्रेन ही एक मात्र सहारा होता था| ट्रेन का सफ़र इसलिए और भी आरामदायक हो जाता हैं क्योंकि आपको ट्रेन में लेटने और आराम करने की सुविधा मिल जाती हैं| ट्रेन का सफ़र करते हुए बाहर का नजारा बहुत खूबसूरत लगता है| साथ ही जब ट्रेन स्टेशन पर रुकतीं है और वहां की चहल-पहल देखकर सफ़र में बोरियत भी नहीं होती है|

आज इंडियन रेलवे लगभग भारत के हर कोने में आने जाने के लिए उपलब्ध हैं| भारत में लगभग 7325 रेलवे स्टेशन हैं जो एक से बढ़ कर एक हैं, और अपनी खूबसूरती के लिए प्रसिद्द हैं|


पश्चिम बंगाल का हावड़ा स्टेशन- यदि आप कोलकाता घूमने गए होंगे तो, हावड़ा स्टेशन जरुर देखा होगा| यह स्टेशन अपने आप में इतिहास को वैसे ही संजोए खड़ा है, जैसे की आज से 100 साल पहले| आज भी आप इसकी खूबसूरती और भव्यता को देखकर मंत्रमुग्ध हो जातें हैं| हावड़ा स्टेशन भारत का सबसे पुराना रेलवे स्टेशन हैं| यह स्टेशन लाल पत्थरों से बना है| इस स्टेशन को को आम जनता के लिए पहली बार 15 अगस्त 1854 खोला गया था| यह स्टेशन ब्रिटिश इंजीनियरों की अव्वल दर्जे की कारीगरी और कौशल का बेहतरीन उदाहरण है। इसमें आपको देखने के लिए रोमन और पारंपरिक बंगाली आर्किटेक्चर का मिश्रण मिलेगा| यह स्टेशन बंगाल की फेमस नदी हुगली के किनारे पर बना है| इस स्टेशन की पहचान एक बड़ी घड़ी हैं जिसको बंगाली भाषा में 'बोरो' घड़ी के नाम से जाना जाता है| जिसकी खूबसूरती देखते ही बनती है, इस स्टेशन से हर रोज लगभग 10 लाख लोग यात्रा करतें हैं| इस स्टेशन पर 23 प्लेटफार्म बने हैं|


महाराष्ट्र का छत्रपति शिवाजी टर्मिनस- मुंबई का छत्रपति शिवाजी टर्मिनस अपने आप में बेहद भव्य और ख़ास जगह हैं| यह स्टेशन अपने आप में इतना खास है, कि इसे यूनेस्को द्वारा विश्व हेरिटेज साइट का गौरव भी दिया जा चुका है| देश के इस ऐतिहासिक धरोहर को पहले विक्टोरिया टर्मिनस के नाम से जाना जाता था| इस स्टेशन की डिजाईन में विक्टोरियाई गोथिक के साथ ही साथ पारंपरिक भारतीय आर्किटेक्चर की भी झलक देखने को मिलती है| इसके ढांचे में कई तरह के गुंबद और मीनारें हैं| इस ईमारत की शोभा बढ़ाने के लिए इस पर 8 सितारों का गुंबद भी बनाया गया है| इस स्टेशन को एफ. डब्ल्यू स्टीवंस(F.W Stevens) ने डिजाईन किया था| इस ईमारत को बनने में लगभग 10 वर्ष लगे थे| इस स्टेशन को महारानी के गोल्डन जुबली के दिन आम पब्लिक के लिए खोला गया था| यह स्टेशन अपने आप में बेहद खास और खूबसूरत हैं|


तेलंगाना का काचिगुडा स्टेशन- यह स्टेशन अपने आप में बहुत महत्व रखता है क्योंकि इसक निर्माण साल 1916 में किया गया था| उस समय वहां निजाम अली खान का शासन था| इस स्टेशन को रेलवे के गोदावरी वैली लाइट योजना के तहत बनवाया गया था, जिससे व्यापार को बढ़ावा मिल सके। इस स्टेशन से देश के बड़े राज्यों को जोड़ा गया था, उनमे से मुंबई स्टेशन भी एक था| इस स्टेशन की एक खास बात और थी, कि यहां महिलाओं के लिए एक अलग हिस्सा बना था| जहां से महिलाएं आराम से ट्रेन पर चढ़ और उतर सकें| उस समय पर्दा प्रथा का चलन था| इस स्टेशन पर बने रेलवे म्यूजियम को यहां आने वाला हर पर्यटक बहुत पसंद करता है| इस स्टेशन पर 100 साल पुरानी सीढ़ियाँ आप देख सकते हैं, साथ ही बेहतरीन आर्किटेक्चर देखने को मिलेगा|


लखनऊ का चारबाग स्टेशन- नवाबों के शहर के नाम से मशहूर लखनऊ शहर को कौन नहीं जनता| यहां पर बना चारबाग रेलवे स्टेशन बहुत ही शानदार और भव्य हैं| इस स्टेशन का निर्माण 1914 में हुआ था| लखनऊ शहर की शान मानी जाने वाली इस ईमारत के डिजाईन को J.H Hornimen ने तैयार किया था| इस स्टेशन की शोभा बढ़ाने के लिए मुग़लिया कारीगरी के साथ-साथ राजस्थानी संस्कृति से जुड़ी चीजों का बहुत अच्छे तरीके से इस्तेमाल किया गया है| इसको गाढ़ा लाल और सफेद रंग में बनाया गया था, इस वजह से यह स्टेशन दूर से देखने पर भी साफ-साफ दिखाई देता हैं| इस स्टेशन पर आपको बड़े-बड़े गुंबद और मीनारों के साथ ही एक हरा-भरा बगीचा भी देखने के लिए मिलता है, जो इस स्टेशन की शोभा चार चाँद लगा देता है| यह स्टेशन बाहर से देखने पर किसी महल जैसा दिखेगा| वहीं अगर इसे हेलीकाप्टर पर बैठकर देखते है, तो आपको यह शतरंज के बोर्ड जैसा दिखाई देगा| यहां की एक ख़ास बात और हैं ,अगर आप बाहर के किसी पोर्च के पास खड़े रहेंगे, तो आपको किसी भी ट्रेन की आवाज नही सुनाई देगी| इतना ही नहीं इस स्टेशन की एक ख़ास बात और है, कि यही पर महात्मा गांधी और जवाहरलाल नेहरू के बीच पहली निजी बैठक हुई थी| इस बैठक की याद के तौर पर यहां एक पत्थर भी लगाया गया था|


तमिनाडु का रोयापुरम स्टेशन- रोयापुरम स्टेशन अपने देश का दूसरा सबसे पुराना स्टेशन है| आज के समय में सबसे बड़ी खास बात यह है, कि इस स्टेशन में अभी तक कोई छेड़-छाड़ नहीं हुई यह जैसे पहले था, वैसे अब भी है| इस स्टेशन को आम जनता के लिए 1856 में खोला गया था| यह स्टेशन कोलोनियल आर्किटेक्चर का बेहतरीन नमूना है| इस स्टेशन से पहली ट्रेन अंबुर से तिरुवल्लूर के लिए चलाई गईं थीं। आपके मन में यह सवाल जरुर आया होगा, कि यही जगह क्यों, तो आपको बता दें कि इस स्टेशन से नजदीक ही ब्रिटिश कारोबारियों की बस्ती थी| इसलिए रोयापुरम को ही चुना गया था| सरकार ने बहुत साल पहले ही इस ऐतिहासिक इमारत में किसी भी तरह के बदलाव करने पर पाबंदी लगा थी| इसलिए यह स्टेशन आज भी वैसे है जैसे बना था| आज यह इमारत 166 साल पुरानी हो गई है|


राजस्थान का राशिदपुरा खोरी स्टेशन- यह स्टेशन अपने आप में बहुत ही खास है क्योंकि भारतीय रेलवे ने इसे 2005 में बंद करने का ऐलान कर दिया था| क्योंकि इस स्टेशन से रेलवे को कोई फ़ायदा नहीं हो रहा था| तब वहां के ग्रामीण लोगों ने रेलवे को चिट्ठी लिखकर इस स्टेशन को फिर से खोलने की मांग की| तब भारतीय रेलवे ने इस शर्त के साथ स्टेशन को खोलने के लिए कहा ही कि उस स्टेशन पर टिकट की बिक्री कम से कम महीने में 3 लाख की होनी चाहिए| तब वहां के 20 हजार ग्रामीणों ने रेलवे की शर्त मान ली और अपने उस स्टेशन का रख-रखाव का भी जिम्मा ग्रामीणों ने लिया| तब जाकर रेलवे ने पुनः इसे 2009 में वहां के लोगों के लिए खोल दिया| वहां के ग्रामीण यही कोशिश करतें हैं कि ज्यादा से ज्यादा यात्रा ट्रेन से करें| जिससे टिकट की बिक्री हो सके और स्टेशन बंद होने की नौबत ना आए|


हिमाचल प्रदेश का बड़ोग स्टेशन- घूमने के शौक़ीन और पहाड़ो पर सैर करने वालो के लिए यह जगह अनजानी नहीं होगी| क्योंकि पहाड़ो की सैर करने वाले एक बार जरुर से कालका-शिमला रेल रूट का आनंद लिया होगा| बड़ोग स्टेशन इसलिए भी खास है, क्योंकि यहां से पहाड़ो का बेहतरीन नजारा और खूबसूरत वादियाँ देखने को मिलती है| यह स्टेशन 1903 में बनवाया गया था| स्थानीय लोंगो का कहना हैं कि कालका-शिमला टनल बनाने वाले इंजीनियर के भूत का किस्सा आज भी प्रचलित है| जिससे इस यात्रा के दौरान सफ़र करने वाले लोग सहम जाते हैं| कर्नल बड़ोग का मानना था, कि शिमला के दोनों तरफ से एक सुरंग हैं, जो आगे जाकर आपस में मिल जाती हैं| इसलिए कर्नल बड़ोग ने 1898 में दोनों तरफ से खुदाई शुरू करवाई, लेकिन वह सुरंग कहीं नही मिली| जब इस बात की जानकारी ब्रिटिश ऑफिशियल्स को हुई तो उनके ऊपर सरकारी खजाने की बर्बादी के लिए 1 रुपए का फाइन लगाया था। इस बेज्जती को कर्नल बड़ोग सह नहीं पाए और उन्होंने उसी गुफा में अपने आप को गोली मार कर आत्महत्या कर ली थी| उसके बाद ब्रिटिश इंजीनियरों की मदद से एक नई गुफा बना दी गई थी। यह गुफ़ा कालका-शिमला रूट पर स्थित है| पहाड़ो पर स्थित कालका-शिमला रुट के दौरान 100 गुफ़ा और 800 ब्रिज पार करने पड़ते हैं| जो इस सफ़र रोमांचक और यादगार बनातें हैं|


पंजाब का अटारी स्टेशन- पंजाब का अटारी स्टेशन अमृतसर शहर के भारत-पाकिस्तान सीमा से सटा हुआ है| यहां आपको जाने के लिए पाकिस्तान का वीजा होना जरुरी है| भारत का यह मात्र एक ऐसा स्टेशन है जहां आपको जाने के लिए वीजा की जरुरत पड़ती हैं| यह स्टेशन हमेशा सुरक्षा बालों की सख्त निगरानी में रहता है| अगर कोई यात्री बिना वीजा के यहां पकड़ा जाता है तो उस पर (14) फारेन एक्ट के तहत मामला दर्ज कर गिरफ्तार कर लिया जाता हैं| अगर आप भी इस स्टेशन पर घूमने का प्लान कर रहें है तो अपने साथ पाकिस्तान का वीजा लेना ना भूलें|

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