रात-रात भर पढ़ाई कर, सोशल लाइफ को पूरी तरह से भूला कर, 24 घंटे केवल अपने लक्ष्य के बारे में सोचने वाले स्टूडेंट ही एक दिन कलेक्टर बनते हैं। लेकिन राजस्थान के दौसा में एक 5वीं कक्षा की स्टूडेंट नव्या अवस्थी बिना ये सब किए कलेक्टर बन गई। कलेक्टर बनने के साथ ही उसने कई फैसले भी लिए।

अब आप सोच रहे होंगे की ये कैसे मुमकिन है। दरअसल हुआ यूं था कि बीते शुक्रवार को राजस्थान के दौसा शहर में 'काउंसलिंग बाय कलेक्टर' कार्यक्रम का आयोजन किया गया था। इस दौरान कई स्कूल के स्टूडेंट ने कार्यक्रम में हिस्सा लिया था। नव्या अवस्थी भी उन स्टूडेंट्स में शामिल थीं।

5वीं कक्षा की स्टूडेंट नव्या ने कलेक्टर से सवाल पूछा कि आप गर्ल्स के बारे में क्या सोचते हो? बच्ची का सवाल कलेक्टर को पसंद आया और उन्होंने उसकी तारीफ की। साथ ही उसे अपनी कुर्सी पर बैठाकर उसे एक दिन का कलेक्टर घोषित किया।

कलेक्टर बनते ही नव्या को कुछ फैसले लेने की छूट भी मिली। इस दौरान उसने अपने स्कूल में लाइब्रेरी खोलने का आदेश जारी किया।

'काउंसलिंग बाय कलेक्टर' कार्यक्रम आयोजन करने का क्या मकसद था?

दरअसल परीक्षाएं नजदीक आ रही हैं ऐसे में लड़कियों को सशक्त बनाने पर और परीक्षाओं से रिलेटेड टिप्स देने के लिए कलेक्टर ने उनसे बातचीत की। इस दौरान लड़कियों ने भी कार्यक्रम में खुल कर हिस्सा लिया। और अपने जिले के डीएम से बातचीत भी की। छात्राओं ने निजी जिंदगी से लेकर, महिलाओं की पर्सनल प्रॉब्लम और सामाजिक समस्याओं पर खुलकर बात की।

इस कार्यक्रम में बड़ी संख्या में स्टूडेंट्स शामिल हुए थे। दौसा के डीएम कमर उल जमान चौधरी के आदेश पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया था। 50 से भी अधिक स्कूलों की लड़कियां शामिल हुई थी। कक्षा 5 से कक्षा 12वीं तक की छात्राएं ने कलेक्टर से संवाद किया था।

इस कार्यक्रम में कलेक्टर के अलावा मुख्य वक्ता के रूप में आईआरएस अधिकारी फराह हुसैन, डॉ. रितु शर्मा, सहायक कलेक्टर मनीषा मीणा, जीएम उद्योग शिल्पा गोखरू भी मौजूद रहे।

स्टूडेंट्स ने कलेक्टर से पढ़ाई संबंधित कई सवाल किए। उन्होंने कलेक्टर से उनके पढ़ाई के दिनों की बात की। कुछ सवाल इस प्रकार थे- पढ़ाई में ध्यान कैसे लगाएं? डर को कैसे दूर करें, पढ़ाई का माहौल कैसे बनाएं?

कलेक्टर ने बच्चों के हर सवाल का एक एक कर जवाब दिया और समस्याओं पर बात की। उन्होंने बच्चों से कहा कि कभी हार नहीं मानना चाहिए। ओवरकॉन्फिडेंस कभी नहीं होना चाहिए। और हमेशा कुछ अलग पढ़ने की जिज्ञासा होनी चाहिए।